रांची:
क्या आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को फिर से जेल जाना होगा। 15 फरवरी को उनके भाग्य का फैसला होना है। चारा घोटाला केस में रांची के डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में सीबीआई कोर्ट 15 फरवरी को लालू प्रसाद यादव सहित 99 आरोपियों के बारे में फैसला करेगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक यदि कोर्ट डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में लालू यादव को साढ़े 3 साल से ज्यादा कैद की सजा सुनाती है तो उनको फिर से जेल जाना पड़ सकता है।
14 फरवरी को ही रांची पहुंच जाएंगे लालू यादव
फैसला 15 फरवरी को आना है लेकिन आरजेडी सुप्रीमो 13 फरवरी को ही रांची पहुंचे। लालू यादव के साथ राज्यसभा सांसद मीसा भारती, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव, प्रदेश प्रारी जयप्रकाश यादव, राष्टीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक भी रांची पहुंचे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक लालू प्रसाद यादव रांची के होटल चाणक्या या फिर रेलवे गेस्ट हाउस में रुक सकते हैं।
15 फरवरी को 10 बजे वो होटल से सीधे सीबीआई कोर्ट जाएंगे। कोर्ट ने उनको व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा था। कहा जाता है कि डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी का मामला चारा घोटाला में सबसे बड़ा मामला है। मामले में लालू यादव सहित 99 आरोपियों के भाग्य का फैसला 15 फरवरी को किया जायेगा।
लालू यादव को पांच में से 4 मामलों में हुई है सजा
आज तक में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में पांच में से 4 मामलों में लालू यादव सजा की आधी अवधि काट चुके हैं। चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में वे बेल पर हैं। लालू को इस मामले में 5 साल की सजा हुई थी। देवघर कोषागार से 79 लाख रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू को साढ़े 3 साल, चाईबासा कोषागार से 33.13 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में 5 साल।
दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में जमानत
दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के 2 अलग-अलग मामले में लालू यादव को सात-सात साल की सजा हुई थी। इन सभी मामलों में लालू यादव जमानत पर हैं। गौरतलब है कि लालू यादव अपने रांची प्रयास के दौरान झारखंड आरजेडी को लेकर भी कुछ अहम फैसला कर सकते हैं। सूचना है कि वो आगामी 3 महीने के झारखंड में पार्टी के प्रभारी का एलान कर सकते हैं।
क्या है चारा घोटाला से जुड़ा पूरा मामला, समझिये
दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चारा घोटाला साल 1990 से 1992 के बीच का है। तब के सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक लाखों टन भूसा, पुआल, पीली मकई, बादाम खली और नमक स्कूटर, बाइक और मोपेड से ढोया गया था। हरियाणा से बढ़िया नस्ल के सांड, बछिया और हाईब्रिड बैंस भी स्कूटर के जरिये लाये गये थे।
चारा घोटाला रिकॉर्ड के मुताबिक 2 लाख 35 हजार 250 रुपये में 50 सांड़ की खरीददारी की गई थी। इसके अलावा 163 सांड़ और 65 बछिया 14 लाख 4 हजार 850 रुपये में खरीदी गयी। यानी कुल लागत आई 16 लाख 40 हजार इसकी आपूर्ति दिल्ली की कंपनी हिंदुस्तान लाइव स्टॉक एजेंसी ने की थी।
बछिया और हाईब्रिड भैंसों की कीमत 84 लाख 93 हजार 900 रुपये थी। भेंड़ और बकरी के लिए 27 लाख 48 हजार 250 रुपये की लागत की बात कही गई थी। सीबीआई ने अपनी जांच में पाया था कि पशुपालन विभाग के बजट बनाने में खर्चा 229 फीसदी ज्यादा दिखाया गया। फर्जी बिल के आधार पर निकासी कर ली गई। 3 महीने में 8 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम की निकासी की गई।