रांची
झारखंड यूथ एसोसिएशन के केंद्रीय संयोजक इमाम सफी ने कहा कि झारखंड में भाषा व खतियान आन्दोलन (Language and Khatian Movement) अपने मूल उद्देश्य से भटक चुका है। कहा कि दो साल पहले बोकारो से कुछ युवकों द्वारा भाषा और खतियान आन्दोलन चलाया गया। इसे मेहनत और लगन से पूरे झारखंड में फैलाया। लेकिन कुछ कुडमी संगठन, जो कुडमी को आदिवासी बनाने के लिए संघर्षरत थे, ने कुडमी जयराम महतो को नेता के रूप में आगे कर दिया। इससे आन्दोलन का वास्तविक स्वरूप बदल गया। इससे आदिवासी व मूलवासी अलग होते चले गए। सफी ने आरोप लगाया कि कुड़मी जाति की भीड़ देख कर जयराम महतो की महात्वाकांक्षा बढ़ गयी। वो जिला परिषद की तैयारी करते-करते बिना विधायक बने मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने लगे।
आंदोलनकारियों का सपना अधूरा
भाषा व खतियान आंदोलनकारी सफी ने आगे कहा कि झारखंड बने 24 वर्ष बीत गये। लेकिन आज भी वीर शहीदों व झारखंड आंदोलनकारियों का सपना अधूरा है। इन 24 वर्षों में लगभग सभी बड़े राजनीतिक दलों बीजेपी, आजसू, कांग्रेस, जेएमएम ने बारी-बारी से शासन किया। लेकिन शासन से ज्यादा शोषण किया। नतीजा है कि देश का सबसे अमीर राज्य आज सबसे ज्यादा गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, अशिक्षा, कुपोषण और भ्रष्टाचार से जूझ रहा है। कहा, राज्य में शिक्षा, चिकित्सा व रोजगार जैसे मूलभूत मुद्दे हमेशा गौण रहे। ये कभी चुनावी मुद्दा नहीं बन सके।
सभी पार्टियों पर लगाये आरोप
सफी ने आगे कहा कि लगभग सभी पार्टियों ने जाति व धर्म की राजनीति को प्राथमिकता दी। राज्य में सबसे ज्यादा समय बीजेपी और आजसू पार्टी की गठबंधन ने शासन किया। ये विशुद्ध रूप से धर्म और जाति की राजनीति पर आधारित रहे। वहीं, कांग्रेस और जेएमएम की गठबंधन ने जल-जंगल-जमीन की नाम पर सत्ता प्राप्त की और इसे लूटने का काम किया। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के भ्रष्टाचार ने नया कृतिमान स्थापित किया था। आज भी एक मुख्यमंत्री जमीन हड़पने व अन्य मामले में फंसे हुए हैं।