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जहां कभी 'गुरुजी' ने रखी थी आंदोलन की नींव, वहीं से अब बहू कल्पना ने शुरू किया सियासी सफर

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द फॉलोअप डेस्कः 
झारखंड आंदोलनकारी दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने गिरिडीह जिले की धरती से ही महाजनी प्रथा के आंदोलन की शुरुआत की थी। यहीं से उनको अलग पहचान मिली थी। 4 मार्च 1973 को झंडा मैदान से गिरिडीह जिले में झामुमो को स्थापित किया था। अब आंदोलन की इसी धरती से शिबू सोरेन की बहू कल्पना मुर्मू सोरेन अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करेंगी। कल्पना सोरेन गिरिडीह जिला झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना दिवस के कार्यक्रम में शिरकत करेंगी। कल्पना की इस नई पारी से झामुमो कार्यकर्त्ता उत्साहित हैं। कार्यकर्ताओं का मानना है कि संगठन को और अधिक धारदार बनाने में कल्पना सोरेन की भूमिका अहम रहेगी। 


कल्पना की चर्चा होती रही है
बता दें कि करीब साल भर से झारखंड में कल्पना के राजनीतिक जीवन में आने को लेकर अटकलें भी लगायी जा रही थी। 31 जनवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किए जाने से लगभग एक महीने पहले गांडेय विधानसभा सीट से झामुमो विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफा देने के बाद से ही कल्पना के राजनीतिक जीवन को लेकर अटकलें तेज हो गईं। जब हेमंत जेल चले गए तो सभी की निगाह फिर से कल्पना की तरफ टिक गई। 


2 फरवरी को दुमका और 4 को धनाबाद नहीं गईं थीं 
2 फरवरी को दुमका और 4 फरवरी को धनबाद जिला स्थापना दिवस कार्यक्रम में कल्पना के शामिल होने की चर्चा हो रही रही थी, लेकिन सीएम के जेल जाने के कारण इन कार्यक्रमों में कल्पना नहीं जा सकीं। अब जिस गिरिडीह जिला का हिस्सा गांडेय विधानसभा क्षेत्र पड़ता है, उसी गिरिडीह जिले से राजनीतिक जीवन में कल्पना का पर्दापण निश्चित तौर पर झारखंड की राजनीति की नई दिशा तय करेगा। रविवार को अपने जन्मदिन के अवसर पर कल्पना ने हेमंत सोरेन के एक्स हैंडल पर खुद इस बात की घोषणा की उन्होंने गिरिडीह में झामुमो के स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल होने से पहले झारखंड राज्य के निर्माता और झामुमो के माननीय अध्यक्ष आदरणीय बाबा दिशोम गुरुजी और मां से आशीर्वाद लिया। 

संघर्ष करना बचपन से ही जानती हूं

कल्पना ने लिखा है कि मेरे पिता भारतीय सेना में थे। वह सेना से रिटायर हो चुके हैं। पिताजी ने सेना में रहकर देश के दुश्मनों का डटकर सामना किया। बचपन से ही उन्होंने मुझमें बिना डरे सच के लिए संघर्ष करना और लड़ना भी सिखाया। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि झारखंडवासियों और झामुमो परिवार के असंख्य कर्मठ कार्यकर्ताओं की मांग पर कल से मैं सार्वजनिक जीवन की शुरुआत कर रही हूं। उन्होंने आगे लिखा कि जब तक हेमंत जी हम सभी के बीच नहीं आ जाते, तब तक मैं उनकी आवाज बनकर आप सभी के बीच उनके विचारों को आपसे साझा करती रहूंगी, आपकी सेवा करती रहूंगी। विश्वास है, जैसा स्नेह और आशीर्वाद आपने अपने बेटे और भाई हेमंत जी को दिया है, वैसा ही स्नेह और आशीर्वाद, मुझे यानी हेमंत जी की जीवन संगिनी को भी देंगे।