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JMM ने वोटिंग का समय अलग-अलग रखने पर उठाये सवाल, मतदान प्रतिशत घटने की आशंका जताई  

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रांची 

जेएमएम ने विधानसभा चुनाव 2024 में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के मतदान केन्द्रों पर मतदान का समय अलग-अलग रखने पर आपत्ति की है। इस संबंध में मोर्चा की ओऱ से भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा गया है। कहा है कि 19-कोडरमा, 20-बरकट्ठा, 21-बरही, 53-मंझगाँव, 67-सिसई और 81-भवनाथपुर को छोड़कर शेष सभी 75 विधानसभा क्षेत्रों में शहरी मतदान केन्द्रों पर मतदान का समय 07.00 बजे से 05.00 बजे तक और ग्रामीण क्षेत्रों के मतदान केन्द्रों में 07.00 बजे से 04.00 बजे तक रखा गया है। 
इस तरह ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं को मतदान का समय कम आवंटित किया गया है जो चुनाव आयोग द्वारा सबको समान अवसर प्रदान किये जाने के सिद्धांत के प्रतिकूल है। कहा है कि पहले राज्य के नक्सल प्रभावित होने के कारण 5-5 चरणों में चुनाव होते थे। परन्तु अब झारखण्ड को नक्सल मुक्त मानते हुए 02 चरणों में चुनाव हो रहे हैं, तब एक ही विधानसभा क्षेत्र में शहरी/ कस्बों के मतदाताओं को 07.00 बजे से 05.00 बजे तक मतदान का समय और ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं को 07.00 बजे से 04.00 बजे तक का समय देना ग्रामीण मतदाताओं को मताधिकार के समान अवसर से वंचित करना होगा।


मोर्चा ने कहा है कि शहरी क्षेत्र में छोटी परिधि में ज्यादा लोग वास करते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में आवास बिखरे होते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में एक बूथ का निर्माण औसतन 7-8 टोलों/बस्तियों को मिलाकर होता है। ग्रामीण क्षेत्र में आवागमन के समुचित साधन भी उपलब्ध नहीं है। इन परिस्थितियों में ग्रामीण क्षेत्र में मतदान का ज्यादा समय उपलब्ध करवाने के विपरित कम समय उपलब्ध करवाना अनुचित प्रतीत होता है।

चुनाव में शहरी/ कस्बा तथा ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं को समान अवसर नहीं मिलने से ग्रामीण क्षेत्रों में मत का प्रतिशत गिरेगा। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा गांव/गरीब का प्रतिनिधत्व करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले मतदाताओं पर इस कदम का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तथा ग्रामीण क्षेत्रों के मतदान का प्रतिशत कम हो जायेगा। इससे निश्चित रूप से जिस पार्टी के समर्थक ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं उसको नुकसान उठाना पड़ेगा। चुनाव आयोग हमेशा से सबको समान अवसर देने की प्रतिबद्धता को दुहराता है। मतदान प्रतिशत बढ़ाने का भी हर संभव प्रयास करता है। परन्तु इस निर्णय से मतदाताओं को न तो समान अवसर ही मिलेगा न ही इस कदम से मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा। मांग की गयी है कि मतदान के समय के अन्तर को समाप्त किया जाये ताकि ग्रामीण एवं शहरी मतदाताओं को समान अवसर मिल सके और उनके संवैधानिक अधिकार की रक्षा भी हो सके।


 

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