द फॉलोअप डेस्क, रांची:
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपाई सोरेन को विधायक दल का नेता घोषित किया गया है। चंपाई सोरेन ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद सरकार बनाने का दावा पेश किया है। इस बीच बोरियो से झामुमो विधायक औऱ वरिष्ठ नेता लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि मैं चंपाई सोरेन के नाम का समर्थन नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि झारखंड की सियासत में जो भी हो रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि झारखंड गठन के 23 साल बाद अधिकांश समय तक यहां आदिवासी मुख्यमंत्री ही रहे हैं लेकिन बावजूद इसके आदिवासी बहुल राज्य की दुर्दशा देखकर दुख होता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सत्ता परिवर्तन हो रहा है तो शिबू सोरेन के परिवार का ही कोई सदस्य होता तो अच्छा रहता।
43 विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा
गौरतलब है कि चंपाई सोरेन ने राज्यपाल को जो समर्थन पत्र सौंपा है उसमें 43 विधायकों को हस्ताक्षर हैं। इसमें महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, झामुमो, आरजेडी और लेफ्ट के विधायक शामिल हैं। ऐसे में लोबिन हेम्ब्रम के समर्थन नहीं करने से भी झारखंड की नई सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन चूंकि बोरियो विधायक गुरुजी के पुराने साथी हैं। लंबे समय तक चंपाई सोरेन के साथ मिलकर काम किया है। ऐसे में उनका चंपाई सोरेन के नाम का समर्थन नहीं करना अहम माना जा रहा है। बता दें कि इसके अलावा इस फैसले पर सीता सोरेन की भी सहमति नहीं है। बता दें कि मंगलवार को जब मुख्यमंत्री के रूप में कल्पना सोरेन का नाम आगे किया गया तो सीता सोरेन ने उस पर भी विरोध जताया था। चमरा लिंडा भी बैठकों में शामिल नहीं हुये।
मुख्यमंत्री का इस्तीफा राज्यपाल ने स्वीकार किया
इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है। राज्यपाल ने इस्तीफा मंजूर भी कर लिया है। चंपाई सोरेन ने विधायकों का समर्थन पत्र मांगकर उनका परेड कराने की पेशकश की थी लेकिन राज्यपाल ने कहा कि वे अभी पत्र पढ़ रहे हैं। वो खुद समय देंगे। इस बीच सत्ताधारी दल के कई विधायकों ने इस पूरे घटनाक्रम को बीजेपी और केंद्र सरकार की साजिश बताया है।