द फॉलोअप डेस्क
बिशुनपुर से झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा खरीदा है। इससे साफ हो गया है कि चमरा लिंडा लोहरदगा संसदीय सीट से अपनी ताल ठोकने की पूरी तैयारी में हैं। गौरतलब है कि लोहरदगा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने लोहरदगा से सुखदेव भगत को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बीजेपी ने समीर उरांव पर दांव खेला है। अब चमरा लिंडा की एंट्री ने यहां मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।
लोहरदगा सीट से चमरा लिंडा अड़े
गौरतलब है कि लोहरदगा सीट के लिए झामुमो पहले से अड़ा हुआ था। इसके बावजूद भी कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है। झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है, तो जीत की गारंटी भी ले। हमारा दावा कई कारणों से लोहरदागा पर था, लेकिन कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है लेकिन झामुमो, गठबंधन धर्म का पालन करेगा। झामुमो के चमरा लिंडा द्वारा चुनाव लड़ने के लिए अड़े होने की बात पर उन्होंने कहा कि अगर कोई किसी अन्य पार्टी से या निर्दलीय मैदान में उतरता है, तो संगठन के संविधान के अनुसार उस पर काम किया जायेगा।
दिलचस्प हो जाएगा चुनाव
लोहरदगा लोकसभा सीट को लेकर बेहद रोचक स्थिति नजर आ रही है। चमरा लिंडा के निर्दलीय चुनाव लड़ने की स्थिति में चुनावी समीकरण बेहद दिलचस्प हो गया है। चमरा लिंडा ने साल 2004 में लोहरदगा लोकसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की ओर से डॉक्टर रामेश्वर उरांव, भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रोफेसर दुखा भगत चुनाव मैदान में थे। साल 2004 का लोकसभा चुनाव लोहरदगा लोकसभा सीट से डॉ. रामेश्वर उरांव जीत गए थे। साल 2009 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से सुदर्शन भगत, कांग्रेस पार्टी की ओर से डॉ. रामेश्वर उरांव और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चमरा लिंडा चुनाव मैदान में थे। इस चुनाव को भारतीय जनता पार्टी के सुदर्शन भगत ने जीत लिया था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में फिर एक बार चमरा लिंडा चुनाव मैदान में थे। हालांकि तब वह ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। भारतीय जनता पार्टी की ओर से सुदर्शन भगत और कांग्रेस पार्टी की ओर से डॉ. रामेश्वर उरांव चुनाव मैदान में थे। इस चुनाव को सुदर्शन भगत ने बेहद करीबी मुकाबले में जीता था।
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