रांची:
करीब 1 महीने से झारखंड में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। निर्वाचन आयोग की तरफ से राज्यपाल को जो चिट्ठी आई है उसे अब तक राज्यपाल रमेश बैस ने सार्वजनिक नहीं किया है। झामुमो की तरफ से लगातार मांग की जा रही है कि चाहे स्थिति जो भी है राज्यपाल उसे स्पष्ट करें लेकिन बार-बार आग्राह के बाद भी राज्यपाल ने अब तक अपना मंतव्य स्पष्ट नहीं किया है। अब झामुमो की तरफ से निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा गया है कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में जो भी स्थिति है उससे साफ किया जाए। इसे लेकर शुक्रवार को JMM के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्या ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि गुरुवार को राज्यपाल से मिलकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने असमंजस की स्थिति दूर करने की मांग की थी। 01 सितम्बर को यूपीए शिष्टमंडल से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने कहा था कि 2 दिन में अपना फैसला सुना देंगे अब तक उन्होंने अपना फैसला सार्वजनिक नहीं किया है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हम हर जगह संघर्ष के लिए तैयार हैं। हेमंत सोरेन के अधिवक्ता की ओर से भारत निर्वाचन आयोग को पत्र देकर यह कहा गया है कि जब 18 अगस्त को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सुनवाई पूरी हो गयी तो फिर अब तक पता क्यों नहीं चला कि निर्वाचन आयोग का मंतव्य क्या है?
दीपक प्रकाश का बयान धमकी भरा है
सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि हम लोगों को यह अंदेशा है कि जिस तरह गुरुवार को भाजपा की बैठक के बाद का बयान प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने दिया वह धमकी भरा है। अगर राजभवन से और न्यायाधिकरण से हमें संरक्षण नहीं मिलेगा तो लोकतंत्र कैसे बचेगा? 22 साल बाद पिछड़ों को उचित आरक्षण मिला है। बाबूलाल मरांडी के मुख्यमंत्री रहते और सुदेश महतो के मंत्री रहते 2001 में पिछड़ों का आरक्षण 27% से घटाकर 14% कर दिया था। बाबूलाल मरांडी ने डोमिसाइल लागू कर दिया था। रघुवर सरकार में आजसू के मंत्री रहते 1985 को स्थानीय नीति का आधार बनाया गया।
भाजपा मीरजाफर और आजसू जयचंद
उन्होंने कहा कि भाजपा मीरजाफर है और आजसू जयचंद है। झारखंड अपने सभी संसाधन के साथ आगे बढ़ रहा है तो साजिश रची जा रही है। इसलिए झामुमो मांग करता है कि राज्यपाल अपना मंतव्य स्पष्ट करें। वहां से जो निर्णय आये उससे मुख्यमंत्री को अवगत कराएं ताकि हम लीगल सहायता ले सके।