रांची
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बीजेपी पर ये बोलते हुए हमला किया है कि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 11 सासंद जीतकर लोकसभा पहुंचे। एनडीए के खेमे से आजसू के भी एक सांसद चुने गये। फिर भी ये लोग आदिवासी सरना धर्म कोड और स्थानीय नियोजन नीति पारित कराने की दिशा में बाधा बनते रहे। इस दिशा में रोड़े ही बनते रहे। कहा, लेकिन जनता इस बार जाग चुकी है। आदिवासी हितैषी का नाटक करने वाली बीजेपी और इनके दिग्गज नेताओं को यहां के मुलवासी पहचान चुके हैं। इस बार रिजल्ट में इस बात का पता चल जायेगा।
जेएमएम ने लगाये बीजेपी पर ये आरोप
- 1932 खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति को नवीं अनुसूची में डालने की बात पर कान में तेल डालकर सो गए।
- सरना आदिवासी धर्म कोड के लिए आवाज नहीं उठायी।
- राज्य के पिछड़े वर्ग के लिए 27 प्रतिशत की मांग पर इनके कान सुन्न पड़ गए।
- राज्य का 1 लाख 36 हजार करोड़ बकाया राशि के लिए एक शब्द नहीं बोले।
- राज्य के 8.5 लाख लोगों के आवास के लिए निष्क्रिय रहे।
- राज्य के गरीब लोगों को राशन के लिए सरकारी गोदाम से राशन नहीं मिलने पर चुप रहे।
- DVC की गुंडागर्दी पर चुप रहे। हेमन्त सोरेन की तरह उन्हें आंख नहीं दिखायी।
- हो, मुंडारी, और कुड़ुख भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की बात पर खामोश रहे।
- मॉब लॉन्चिंग रोकने काले कानून और पेपर लीक रोकने वाले कड़े कानून पर घड़ियाली आंसू बहाया।
- झारखंड से हो रहे सौतेले व्यवहार पर अपनी बगले झांकते रहे!
मोर्चा ने कहा है कि हेमन्त सरकार अधिकार मांगती रही, लेकिन बीजेपी के लोग उनके रास्ते पर रोड़े अटकाने का काम करते रहे। आगे कहा, इसलिए झारखंडवासियों ने भी सौगंध खायी है कि इस बार दिल्ली उन्हीं को भेजा जाएगा जो उनके हक-अधिकार की आवाज उठाएगा।
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