logo

पड़ताल : राष्ट्रपति चुनाव पर धर्मसंकट में झामुमो! यशवंत सिन्हा या द्रौपदी मुर्मू, किसका करेगा समर्थन

a325.jpg

डेस्क: 

राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मियां तेज है। उम्मीदवारों के नाम का ऐलान होने से पहले काफी कुछ स्पष्ट था कि कौन सा राजनीतिक दल किस तरफ होगा। कौन यूपीए के साथ जाएगा और कौन एनडीए का समर्थन करेगा। यूपीए के घटक दलों की बैठक जब दिल्ली में हुई तो इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी शामिल हुए।

चूंकि, झारखंड में झामुमो यूपीए का हिस्सा है तो किसी को कोई कन्फ्यूजन नहीं था कि हेमंत सोरेन की पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में किसका समर्थन करेगी, लेकिन राजनीति में सबकुछ सीधा-सीधा ही होगा तो फिर सियासत का मतलब ही क्या हुआ।

राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए बनाम एनडीए की चर्चा चल ही रही थी कि 21 जून आ गया। साल के सबसे लंबे दिन की शाम को एनडीए ने ऐलान किया कि झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार होंगी। इस ऐलान के होते ही सब गुणा-गणित बिगड़ गया। 

द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी से कन्फ्यूज हुआ झामुमो
सियासी गलियारों में चर्चा है कि राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान होते ही सबसे ज्यादा हलचल झारखंड मुक्ति मोर्चा में मची। शास्त्रों में जिस स्थिति को धर्मसंकट कहा गया है, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने वही महसूस किया। अब भी कर रही है।

अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के सामने 2 सवाल मुंह बायें खड़ा है। अब झामुमो, यूपीए उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन करे या एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का। यदि द्रौपदी मुर्मू के ऊपर यशवंत सिन्हा का समर्थन किया तो विरोधियों द्वारा आदिवासी विरोधी होने का जो आरोप लगाया जाता है, उसे बल मिलेगा। बीजेपी ढिंढोरा पीट-पीटकर ये कहेगी कि, जी देखो हमने एक आदिवासी को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया और झामुमो ने समर्थन नहीं किया। अब झामुमो यदि यशवंत सिन्हा के ऊपर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया तो गठबंधन धर्म टूटेगा। झामुमो इस दो सवालों के बीच फिलहाल करें तो करें क्या..बोलें तो बोलें क्या वाली स्थिति में है।

इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और सीएम हेमंत सोरेन ने कहा है कि फैसला गुरुजी को करना है। वरिष्ठ नेता सुप्रिोय भट्टाचार्य ने कहा कि ये राजनीतिक परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। 25 जून को इस बारे में एक बैठक भी हो चुकी है। 

द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी औऱ बीजेपी का बड़ा दांव
दरअसल, बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर एक तीर से कई निशाना साधा है। पहला तो यही कि देश में पहली बार कोई आदिवासी राष्ट्रपति होगी। चूंकि, द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की रहने वाली है तो स्वत ही नवीन पटनायक वाली बीजेडी को साध लिया। नाम का ऐलान होते ही ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने कह दिया था कि हमारा फूल सपोर्ट रहेगा। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल है। एक तरीके से पहला निशाना तो यही हो गया। दूसरा ये कि द्रौपदी मुर्मू संताल आदिवासी समाज से आती हैं।

सत्ताधारी सोरेन परिवार भी इसी संताल समाज से आता है। राजनीतिक जानकार कह रहे हैं कि बीजेपी ने झामुमो के सामने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं छोड़ा है। यदि झामुमो ने द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का समर्थन नहीं किया तो संताल समाज में बहुत गलत संदेश जायेगा।

संताल परगना के 6 जिलों में संताल वोटर्स पर इसका नकारात्मक असर होगा। मसला, देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति का भी है। अब खुद को आदिवासियों का सबसे बड़ा हितैषी बताने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन नहीं किया तो क्या संदेश जाएगा ये भी वो समझती है। हालांकि, झामुमो द्रौपदी मुर्मू के साथ जाएगी इसके संकेत मिलने लगे हैं। 

 

सीएम हेमंत की गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात
गौरतलब है कि अभी 2 दिन पहले ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली गये थे। वहां, उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता कह रहे हैं कि गृहमंत्री से मुलाकात में सीएम ने राज्य की विधि-व्यवस्था और विकास पर चर्चा की लेकिन सियासत जानने वाले कहते हैं कि इसमें द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी को समर्थन देने पर चर्चा जरूर हुई होगी। इस बात की भी प्रबल संभावना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गृहमंत्री को आश्वस्त किया हो कि झारखंड मुक्ति मोर्चा द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगा।

यही नहीं, इस बात की तस्दीक यूपीए उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का नामांकन भी करता है। यशवंत सिन्हा के नामांकन में यूपीए घटक दल के दूसरे नेता तो मौजूद थे लेकिन झामुमो से कोई नहीं गया। इधर, राज्य के शिक्षा मंत्री और सोरेन परिवार के करीबी कहे जाने वाले जगरन्नाथ महतो ने द्रौपदी मुर्मू की जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा कि समर्थन करना या नहीं करना।

ये तो गुरुजी का फैसला होगा लेकिन बतौर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड में शानदार काम किया है। सबको लेकर चली हैं। उनका व्यक्तित्व अच्छा है। 

झारखंड मुक्ति मोर्चा करेगा द्रौपदी मुर्मू का समर्थन
हो सकता है कि जल्दी ही झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ से इस बात का आधिकारिक ऐलान भी कर दिया जाए। सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सहयोगी कांग्रेस को अपनी राजनीतिक विवशता से अवगत करा दिया है। हालांकि, कुछ दिन पहले राजेश ठाकुर ने कहा था कि उन्हें पूरा विश्वास है कि झामुमो यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी का समर्थन करेगी।

गठबंधन धर्म का पालन करेगी। हालांकि, ताजा घटनाक्रम इस बात का संकेत दे रहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का साथ देगा क्योंकि यही राजनीति विवशता है।