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झारखंड सरकार करा सकती है जातिगत जनगणना, लेकिन यहां अटक रहा है मामला

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रांची 

बिहार की तर्ज पर झारखंड सरकार भी जातिगत जनगणना करा सकती है। लेकिन ये काम किस विभाग के अधीन होगा, इसे लेकर अमंजस की स्थिति है। मिली खबर के मुताबिक सरकार इस मामले में विशेषज्ञों की राय ले रही है। बिहार में जातिगत गणना होने के बाद, झारखंड में भी इसी तरह की गणना की मांग हो रही है। राज्य सरकार भी इसके लिए तैयार है। लेकिन जातीय जनगणना के प्रारूप, विभाग और इसकी तकनीकी प्रक्रिया को लेकर सरकार के पास कोई योजना या ब्लू प्रिंट नहीं है। सरकारी सूत्रों की मानें तो इसी कारण से जातीय जनगणना की दिशा में अबतक कोई कदम नहीं उठाया जा सका है। 

विधानसभा में उठ चुका है मामला 

विधानसभा में अभी शीतकालीन सत्र चल रहा है। इसके एटीआर यानी एक्शन टेकेन रिपोर्ट में कहा गया है जातिगत जनगणना का मामला एक बार सदन में उठाया गया है। विधायक प्रदीप यादव ने जाति आधारित जनगणना को लेकर सरकार का रुख जानना चाहा था। ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने तब सदन को भरोसा दिया था कि सरकार जाति आधारिक गणना के समर्थन में है। कहा था कि ये राज्य के हित के लिए जरूरी है। लेकिन इसकी प्रक्रिया और समय को लेकर मंत्री ने कुछ साफ नहीं किया था। हालांकि सदन को बताया कि जातीय जनगणना का काम ग्रामीण विकास विभाग से संबंध नहीं रखता है। 

झारखंड में ये पार्टियां करती रही हैं मांग 
गौरतलब है कि बिहार के बाद झारखंड में भी जातिगत जनगणना की मांग को लेकर पार्टियां मुखर हो गयी हैं। आजसू, राजद और कांग्रेस इसके लिए मांग करती रही हैं। पार्टियों की दलील है कि जातीय आबादी के अनुसार झारखंड में भी सरकारी सुविधाओं का मिलना तय किया जाना चाहिये। कई नौकरियों में भी कारण से पेंच पैदा होती रही है। आजसू विधायक ने इस मामले को कई बार विधानसभा में उठाया है। वहीं, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने जातिगत जनगणना को राज्य के लिए जरूरी बताया है।