डेस्क:
राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की भूमिका के बाबत सवाल पूछे जाने पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर (Rajesh Thakur) ने बहुत तल्ख टिप्पणी की है। राजेश ठाकुर ने कहा कि कई स्तरों पर ये दिखा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की विचारधारा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) से मेल नहीं खाती। राजेश ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में यदि झामुमो यूपीए से किनारा करती है तो अच्छा मैसेज नहीं जाएगा। हालांकि, हर दल को अपना निर्णय लेने का अधिकार है।
संताल समाज से आती हैं द्रौपदी मुर्मू
चूंकि द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) संताल आदिवासी समाज से आती हैं इसलिए राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार (NDA Presidential Candidate) का समर्थन करना क्या झामुमो की राजनीतिक मजबूरी है, इस सवाल के जवाब में राजेश ठाकुर ने कहा कि पहले भी देश में आदिवासी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रह चुके हैं। राजेश ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण विचारधारा की लड़ाई है।
राजेश ठाकुर का बीजेपी पर तंज
इस बीच राजेश ठाकुर ने भारतीय जनता पार्टी ( BJP) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जाति और आदिवासियत के नाम पर वोट मांगने से अच्छा होता कि बीजेपी सरना धर्म कोड लागू कर देती। गौरतलब है कि आदिवासी संगठनों तथा आदिवासी आधारित राजनीतिक दलों की तरफ से लंबे समय से सरना धर्म कोड लागू करने की मांग चल रही है। खुद झारखंड मुक्ति मोर्चा भी लगातार केंद्र सरकार के समक्ष सरना धर्म कोड लागू करने की मांग करती रही है। राजेश ठाकुर ने इसी का जिक्र किया।
रांची प्रवास पर हैं द्रौपदी मुर्मू
दरअसल, सोमवार (4 जुलाई) को एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू रांची आई हुई हैं। बीएनआर चाणक्य में एनडीए घटक दल के सांसदों-विधायकों से मुलाकात के बाद द्रौपदी मुर्मू झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन से मुलाकात करने जा रही हैं।
इस दौरान मुख्यमंत्री हेमतं सोरेन के भी उपस्थित रहने की संभावना है। गौरतलब है कि अभी तक झामुमो ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वो यशवंत सिन्हा और द्रौपदी मुर्मू में से किसका समर्थन करने जा रही है।
झामुमो की राजनीतिक विवशता क्या है!
दरअसल, जब यूपीए ने यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया तो झारखंड मुक्ति मोर्चा उस बैठक में मौजूद रही। इस बीच जैसे ही एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया, झामुमो पशोपेश में पड़ गई क्योंकि द्रौपदी मुर्मू उसी संताल समाज से आती हैं जिससे सोरेन परिवार संबंधित है। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी हैं।
संख्याबल के हिसाब से ये भी तय है कि देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिल जाये। ऐसे में यदि आदिवासियत के मुद्दे पर राजनीति करने वाला झामुमो उनकी उम्मीदवारी का समर्थन नहीं करता तो आदिवासियों में सकारात्मक संदेश नहीं जायेगा।