द फॉलोअप डेस्कः
सीएम हेमंत सोरेन ने गढ़वा में आज सरकार आपके द्वार कार्यक्रम तहत अपने संबोधन में कहा कि हमने जो भी योजना बनाई है वो गांव में बसने वाले 80 प्रतिशत आबादी यानि गांव के लोगों के लिए बनाई है। शहर वालों के लिए शहरी तरह की योजना बनाई गई है। आज किसानों के लिए हमने बिरसा हरित ग्राम योजना, पशुधन योजना, दीदी बाड़ी योजना, फूलो-झानो योजना चला रखी है। हमारे कम पढ़े-लिखे, ज्यादा पढ़े-लिखे और नहीं पढ़े-लिखे लोगों के लिए भी चाहे वो महिला हों, पुरुष हों उनको अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए हम लगे हुए हैं। उनके लिए मुख्यमंत्री रोजगार सृजन का काउंटर लगा है। सरकार आपको पूंजी देगी। आप आवेदन दीजिए। आप जो रोजगार करना चाह करें।
बच्चों के भविष्य की चिंता आपको नहीं करनी है
हम छात्र-छात्राओं के लिए कई योजनाएं लाए हैं, ताकि आपको भविष्य में अपने बच्चों की पढ़ाई की चिंता नहीं करनी होगी। अभी सावित्री बाई फूले योजना हम चला रहे हैं। लगभग साढ़े 7 लाख बच्चियों को इससे जोड़ा है। ताकि आने वाली पीढ़ी को किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होगी। जब ये 10वीं-12वीं पास कर लेंगे और आगे पढ़ाई करना चाहेंगे तो उसके लिए सरकार पैसा देगी। दसवीं क्लास के बाद के बच्चों को गुरुजी क्रेडिट कार्ड का फॉर्म मिल रहा है। अगर भविष्य में वे बच्चे कोई कोई अच्छी और बड़ी डिग्री वाली पढ़ाई करना चाहेंगे तो हम पैसा देंगे और किसी गारंटर की जरूरत नहीं होगी। हम आपके गारंटर होंगे। जब तक पढ़ाई पूरी नहीं होगी तब तक आपसे हम पैसा नहीं लेंगे। जब आपकी नौकरी हो जाएगी तब आप थोड़ा-थोड़ा करके वापस करिएगा।
जल्द जेपीएसएसी-जेएसएससी से नियुक्ति निकलेगी
पढ़े-लिखे लोगों के लिए जेपीएसएसी और जेएसएससी के माध्यम से नौकरी निकल रही है। अभी 40 हजार और भी नियुक्ति निकलने वाली है। इसकी भी जो पढ़ाई करना चाहता है उसके लिए भी राज्य सरकार तैयार है। हम लगभग 400 बच्चों को रहने के लिए जगह दे रहे, खाने के लिए खाना दे रहे हैं। योजनाएं गिनाने बैठ जाऊं तो रात हो जाएगा। हमने 70 हजार से ज्यादा नियुक्ति पत्र लोगों को दिया। चाहे वो सरकारी हो गैर सरकारी हो। सभी जिलों में किसान पाठशाला खोले जाएंगे उसमें पढाया जाएगा कि किस तरह से कृषि मुश्किल परिस्थितियों में भी की जाए।
पेंशन की योजना हमने सुलझाई है
2023 साल हो गया इस राज्य को बने हुए। ये अब युवावस्था में चला जाएगा। लेकिन 20 साल में विपक्ष ने इस राज्य की ऐसी स्थिति बन गई कि क्या कहे। कभी आपने नहीं सुना होगा कि आपके गांव में कोई अधिकारी पहुंचा था लेकिन 2021 से आप सुन रहे होंगे कि आपकी समस्या का समाधान करने पदाधिकारी आपके दरवाजे तक पहुंच रहे है। पहले चरण में योजनाओं की गठरी बनाकर हमने पदाधिकारियों को आपतक पहुंचा है। दूसरे चरण में भी आपके अधिकार के लिए पदाधिकारी पहुंचे और तीसरे चरण में भी पदाधिकारी आपतक पहुंच रहे हैं। 2021 में हमने यह शुरू किया उससे पहले भी कर सकते थे लेकिन करते क्या सरकार ठीक से बना भी नहीं था और कोरोना काल आ गया। कोई काम नहीं चल रहा था। 2 साल तो कोरोना खा गया हमारा। जैसे ही ये खत्म हुआ हम आप तक पहुंच गये। पहले चरण में 35 लाख आवेदन मिला। दूसरे चरण में 55 लाख तब मैंने माथा पकड़ लिया कि विपक्ष ने आखिर किया क्या 20 साल तक। तब जाकर हमने उन आवेदनों को खंगालना शुरू किया तो पता चला कि सबसे ज्यादा समस्या तो पेंशन कि है। 20 साल में किसी सरकार ने बुढ़ापे का लाठी छीनकर अपना लाठी बनाया, विधवओं को गली-गली भटकने के लिए छोड़ दिया। इसलिए हम सर्वजन पेंशन लेकर आए, ये देश का पहला राज्य है जहां 60 साल से ऊपर के सभी लोगों को पेंशन मिल रहा है। आज काउंटर पर इक्का दुक्का लोग मिलते हैं। हमने बुढ़ापे की लाठी वापसी की। वही हाल विधवा का भी था। इसलिए हमने कानून बनाया जिस दिन से कोई विधवा होगा हम उसी दिन से पेंशन देंगे। विकलांग की भी वही हालत थी, इसलिए हमने कानून बना दिया कि 5 साल से ऊपर के विकलांग को तब तक पेंशन मिलेगा जब तक वह जिंदा रहेगा।