द फॉलोअप डेस्क, खूंटी:
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को खूंटी में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में शिरकत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि 24 नवंबर से लगातार विभिन्न पंचायतों में आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार के तहत शिविर लगाया जा रहा है। इस दौरान हमलोग विभिन्न जिलों में जाकर शिविरों की वास्तविक स्थिति का आकलन करते हैं। आज हम खूंटी आए हैं। विभिन्न ब्लॉक, पंचायत, छात्र-छात्राओं और माता-बहनों को जोहार। विधानसभा सत्र शुरू हो गया है। यह कार्यक्रम भी चल रहा है। सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानों की धरती भोगनाडीह से 24 नवंबर को कार्यक्र की शुरुआत हुई। 2021 में खूंटी में भगवान बिरसा मुंडा की धरती से कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। 2022 में दूसरा चरण संपन्न हुआ। पूरे राज्य के सभी पंचायतों में त्योहार जैसा माहौल है। चुनाव के दौरान ही हमने कहा था कि सरकार रांची स्थित हेडक्वार्टर से नहीं चलेगी बल्कि गांव-गांव जाकर काम करेगी। राज्य गठन का 23वां चल रहा है।
2020 से हम मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले कभी देखा न सुना कि कोई पदाधिकारी या कर्मचारी गांव में जाकर लोगों की समस्याओं का समाधान करता हो। हमारी सरकार आई तो कोरोना के रूप में बड़ी चुनौती थी। पूरी दुनिया ठप हो गई। लॉकडाउन की वजह से झारखंड के लाखों-लाख श्रमिक दूरे प्रदेशों में फंस गए।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुख्य बातें
केंद्र सरकार ने श्रमिकों को घर पहुंचाने की सहूलियत नहीं दी जिसकी वजह से सैकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ी। हमारी सरकार ने तय किया कि दूसरे प्रदेशों में फंसे झारखंड के सभी श्रमिकों को वापस लाएंगे। हमने हवाई जहाज के जरिए भी मजदूरों के घर वापसी की व्यवस्था की। वादा केंद्र की मोदी सरकार ने किया था लेकिन असल में हम हवाई चप्पल वालों को हवाई जहाज में बिठाए। दो चरणों में 1 करोड़ आवेदन मिले जिसका साफ मतलब है कि ब्लॉक और जिला कार्यालय ने 20 वर्षों में काम नहीं किया। सरकार आपके द्वार कार्यक्रम से हमें किसान, मजदूर, बुजुर्ग, महिला और विद्यार्थियों की समस्याओं का पता चला। हमने आवेदन के आधार पर प्राथमिकता तय की। शिविर से हमें जनकल्याण का मार्गदर्शन मिला। आदिवासी-मूलवासी के प्रश्न पर जल-जंगल और जमीन की रक्षा के लिए जिन लोगों ने शहादत दी उनको पर्याप्त हक नहीं मिला। 2019 से पहले सीएनटी-एसपीटी एक्ट में बदलाव के प्रयासों की वजह से आग लगी। एक व्यक्ति की मौत हुई। हमने परिजनों को नौकरी दी। हमने 60 साल से अधिक आयु के सभी बुजुर्गों को पेंशन देने की योजना बनाई। ढिबरी जलाकर भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जिसे पेंशन नहीं मिलता। 57 साल की उम्र में व्यक्ति इस इंतजार में है कि कब वह 60 साल का होगा और सर्वंजन पेंशन योजना का लाभ ले सकेगा।
बेटियों को सावित्रीबाई फूले किशोरी समृद्धि योजना का लाभ मिल रहा है। राज्य में ऐसा कोई घर नहीं जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ न मिला हो। पूर्ववर्ती सरकारों ने 20 वर्षों में महज 16 लाख लोगों को पेंशन दिया। हमारे 4 साल के कार्यकाल में 36.20 लाख लोगों को सर्वजन पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है। बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांग, सबको पेंशन मिल रहा है। विधवा पेंशन के लिए उम्र सीमा की बाध्यता भी हमने खत्म कर दी। 18 वर्ष से अधिक आयु की कोई भी महिला दुर्भाग्य से विधवा हो जाती है तो उनको पेंशन मिलेगा।
किसानों के लिए पशुधन योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, दीदी-बाड़ी योजना चलाई जा रही है। नौजवानों को मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना और गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट योजना का लाभ मिल रहा है। राज्य गठन के समय सरप्लस बजट था जो आज घाटे का बजट है। पैसा कहां गया। पूर्ववर्ती ने गरीबों का हक अधिकार मारकर पूरा खजाना खाली कर दिया। कर्मचारियों की हकमारी की गई। आज लोगों को हाथों-हाथों सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। उनको ब्लॉक और जिला कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना होगा। गांव के लोगों ने ब्लॉक कार्यालय नहीं देखा। उन्हें नहीं पता कि बीडीओ-सीओ कौन है। डीसी-एसपी कैसे दिखते हैं। हमने आज सरकारी कार्यालय आपके द्वार तक पहुंचा दिया है। पहले सरकारों ने पदाधिकारियों को अपनी सेवा में लगाया था। आज कर्मचारियों की चिंता सरकार कर रही है। उत्साहित कर्मी आपके पास पहुंचकर काम करेंगे।
मैंने सड़क पर मजदूरों को देखा। 11 बज गए थे। दूर गांव से आए श्रमिकों को रोजगार नहीं मिला तो वापस गांव लौटेगा। राज्य में भीषण गरीबी है। गरीबी ही वह कारण है कि मां-बाप बेटियों के लिए 9वीं पास करते हुए दूल्हा ढूंढ़ने लगते हैं। मैं मां-बाप से कहना चाहता हूं कि बेटियां बोझ नहीं है। वह सरकार की जिम्मेदारी है। सावित्रीबाई फूले योजना के जरिए 8 लाख बच्चों की आर्थिक मदद की जा रही है। पहले 2 बेटियों के लिए नियम था लेकिन मुझे यह तर्कसंगत नहीं लगा तो हमने परिवार की सभी बच्चियों के लिए योजना का विस्तार किया। बच्चियां जब 10वीं-12वीं पास करेंगी तो उनको गुरुजी क्रेडिट कार्ड मिलेगा। हम चाहते हैं कि झारखंड के बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, सैनिक और पत्रकार बने। सरकार 15 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता देगी। इसके लिए गारंटर की जरूरत नहीं होगी। पढ़ाई के बाद नौकरी मिलने पर थोड़ा-थोड़ा करके सरकार को वापस लौटा दीजिए। विदेश में पढ़ाई के लिए भी सरकार आर्थिक सहायता दे रही है। मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय योजना लॉन्च क जिसमें गरीब, अल्पसंख्यक, पिछड़ा और आदिवासी बच्चों को विदेश में पढ़ाई का खर्चा दिया जाता है। खूंटी का एक लड़का और गुमला की 3 बेटियां विदेश में पढ़ाई कर रही है। उनका खर्च सरकार उठाती है।
सरकारी स्कूलों के बच्चे निजी स्कूलों के बच्चों से पिछड़ जाते हैं। हमने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाया। पहले चरण में 80 स्कूल खोले गए। भविष्य में 5 हजार स्कूल खोले जाएंगे। स्कूलों में सुसज्जित लैब, प्रशिक्षित शिक्षक, स्मार्ट क्लासरूम और सुंदर परिसर होगा। गरीब बच्चों के लिए मुफ्त पढ़ाई की सुविधा होगी।
दीदियां बहुत मेहनत करती हैं। महिलाओं की मदद से हम कोरोना से लड़ाई लड़ पाए। विषम परिस्थितियों में दीदियों ने महामारी में जान की परवाह किए बिना दीदी-बाड़ी योजना के तहत हजारों लोगों को भोजन कराया। महिलाएं हड़िया-दारू बेचने को विवश हैं। नशे से समाज पिछड़ेगा। हमारी सरकार महिलाओं के लिए फूलो-झानो योजना लाई। आप हड़िया-दारू का तसला फेंक कर सरकारी योजनाओं का लाभ लीजिए। सम्मान की जिंदगी मिलेगी। शिबू सोरेन ने अलग राज्य की लड़ाई लड़ी तो लोगों ने तंज किया। शिबू सोरेन विचलित हुए बिना लक्ष्य प्राप्ति के लिए लड़ते रहे। बचपन से लेकर बुजुर्ग होने तक शिबू सोरेन लड़े तो राज्य मिला। बाहरियों ने सोचा कि अलग राज्य तो ले लिया लेकिन चलाएगा कैसे। हमारी सरकार बनी तो दूसरे दिन से ही इसे अस्थिर करने का प्रयास किया। कभी मुझे जेल जाने की धमकी देते हैं। कभी समन भेजकर डराने का प्रयास करते हैं। रोज ष़ड्यंत्र करते हैं लेकिन मैं डरा नहीं बल्कि सरकार को गांव तक पहुंचा दिया।
जनकल्याण को अपना लक्ष्य बनाया। जब तक हम रहेंगे, पदाधिकारी आपका दरवाजा खटखटाएंगे। आपकी समस्याओं का समाधान करेंगे। हर व्यक्ति की प्राथमिक जरूरत रोटी, कपड़ा और मकान है। खूंटी, सिमडेगा और गुमला गवाह है कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में दर्जनों लोग राशन कार्ड हाथ लेकर मर गए। जबकि कोरोना काल में भी हमने किसी को भूख से नहीं मरने दिया। कोरोना काल में जनसेवा करते हुए हमारे 2 मंत्रियों ने अपनी जान गंवा दी। वे मैदान छोड़कर भागे नहीं बल्कि कुर्बानी दी।
विपक्षी दोषारोपण करते हैं कि सुंदरपहाड़ी में लोग कालाजार और मलेरिया से मर रहे हैं। मैं पूछता हूं कि किन्हें यह बीमारी होती है। क्या अमीरों को। नहीं, यह बीमारियां केवल गरीबों को होती है। उनके पास आवास नहीं है। हमने केंद्र से गुहार लगाई कि आवास दीजिए लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। हमारी सरकार ने तय किया कि अपने दम पर अबुआ आवास योजना शुरू करेंगे। अब राज्य में हर गरीब को आवास मिलेगा। हमने 8 लाख लाभुक चिन्हित किया था लेकिन यह आंकड़ा बड़ा है। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि चाहे और 5 साल लगे लेकिन मैं गरीबों को आवास देकर रहूंगा। पीएम आवास से बेहतर आवास दूंगा। झारखंड की बेटियां खेल के क्षेत्र में उभर रही है। दुनिया के 8 देशों के खिलाड़ी झारखंड आए। बेहतरीन हॉकी खेली गई। महिला हॉकी में झारखंड की बेटियों की सर्वाधिक भागीदारी है। खूंटी, गुमला, सिमडेगा में खेल के मैदान हैं। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन राशि और नौकरी देंगे।
कुछ सालों में झारखंड 25 साल का युवा हो जाएगा। पूर्ववर्ती सरकारों ने इसे बीमारू बना दिया। मैं ग्रामीणों को मजबूत करने में लगा हूं। उच्च शिक्षा प्राप्त और कम पढ़े लिखे युवाओं के लिए योजना बनाई गई है। षड्यंत्रकारी विकास कार्य में बाधा डालते हैं। अगले साल 5 साल के लिए फिर सरकार चुनी जाएगी। मैं वादा करता हूं कि तब भी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चलेगा ताकि गांव-गांव तक सरकारी योजना का लाभ पहुंचे। हमने सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में ग्राम गाड़ी योजना की शुरुआत की है। झारखंड के माथे पर गरीब और पिछड़ा राज्य होने का कलंक तभी मिटेगा जब गांव मजबूत होगा।
केंद्र सरकार 3 काला कृषि कानून लाई थी। यदि कानून लागू हो जाता तो कोई किसान नहीं बचता। कानून के विरोध में किसानों ने 3 महीने तक दिल्ली को घेर लिया। किलेबंदी से घबराई सरकार को कृषि कानून वापस लेना पड़ा। देश में व्यापारियों की दुकान चल रही है।