द फॉलोअप डेस्क:
शुक्रवार को ईडी के समन के खिलाफ मुख्यमंत्री की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका का समन बीत चुका है। समन जारी किए जाने के बाद याचिका दाखिल की गई इसलिए इसे खारिज किया जाता है। हाईकोर्ट में वरीय अधिवक्ता पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल और पीयूष चित्रेश ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पक्ष रखा वहीं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ईडी की ओर से जिरह की।
ईडी ने हाईकोर्ट में क्या तर्क दिए!
ईडी ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री ने जिस पीएमएलए की धारा 50 और 60 के तहत याचिका दाखिल की है उसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मदन लाल को लेकर फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ईडी समन करने और बयान लेने का अधिकार है। कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। एसवी राजू ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 5 समन जारी किया गया लेकिन वह एक भी समन पर पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए, ऐसे में याचिका का औचित्य नहीं बनता। मुख्यमंत्री की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि ईडी ने समन में स्पष्ट नहीं किया कि उनके मुवक्किल केस में आरोपी हैं या गवाह। उनके खिलाफ केस भी दर्ज नहीं है। ऐसे में समन गलत है। हालांकि, हाईकोर्ट ने ईडी के तर्क से सहमति जताते हुए याचिका खारिज कर दिया।
बता दें कि मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर 4 अक्टूबर को ईडी को चिट्ठी भी लिखी गई थी। इसमें मुख्यमंत्री के वकील ने कहा था कि सीएम हेमंत कानून मानने वाले व्यक्ति हैं। हाईकोर्ट में मामला लंबित है।
मुख्यमंत्री को ईडी ने पांच समन जारी किए
गौरतलब है कि रांची जमीन घोटाला केस में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने पहली बार 8 अगस्त को समन किया था। उनको 11 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। फिर 17 अगस्त को दूसरा समन किया गया और 24 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इसके बाद ईडी ने 9 सितंबर को तीसरी बार और 23 सितंबर को चौथी बार बुलाया। 5वां समन जारी कर मुख्यमंत्री को 4 अक्टूबर को बुलाया गया लेकिन किसी ना किसी वजह से मुख्यमंत्री ईडी कार्यालय नहीं गए। अब समन के खिलाफ उनकी याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। मुख्यमंत्री के पास 2 विकल्प हैं। ईडी के सवालों का सामना करना या फिर वह सुप्रीम कोर्ट का रुख भी कर सकते हैं।