द फॉलोअप डेस्क
पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के बयान पर अब सियासत शुरू हो गई है। मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी हेमंत सोरेन पर हमलावर है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर इस बाबत पोस्ट किया है। पोस्ट में उन्होंने चंपाई सोरेन द्वारा दिए बयान पर अखबार में छपी खबर की कटिंग शेयर की है। पोस्ट में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने सीएम हेमंत सोरेन को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। बाबूलाल ने कहा है कि हेमंत सोरेन ने खुद को आरसुक्षित महसूस किया इसलिए चंपाई सोरेन से इस्तीफा दिलाया। इसके साथ ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने चंपाई सोरेन के प्रकरण के बाद जागी अपने एक उम्मीद की चर्चा की है।
क्या ट्वीट किया बाबूलाल ने...
बाबूलाल मरांडी लिखा है कि हेमंत सोरेन ने जिस तरह से चंपाई सोरेन को अपमानित कर मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल किया, उसकी पीड़ा अब चंपाई जी के बयानों में दिखाई देने लगी है। हेमंत सोरेन में असुरक्षा की भावना इस कदर घर कर गई है कि उन्हें अपने ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों पर भरोसा नहीं रहा। हेमंत सोरेन और उनका परिवार झामुमो के आदिवासी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सिर्फ दरी बिछाने और झंडा ढोने के योग्य समझता है। चंपाई सोरेन जी ने धीरे-धीरे ही सही लेकिन सकारत्मक राजनीति की ओर कदम बढ़ाया था। पार्टी कैडरों के बीच चंपाई जी की बढ़ती स्वीकार्यता देख हेमंत विचलित हो उठे। चंपाई जी के प्रकरण को देखकर अब उम्मीद है कि जल-जंगल-जमीन और झारखंड राज्य का आंदोलन करने वाले आदिवासी नेता, कार्यकर्ता झारखंड की अस्मिता और यहां के संसाधनों को किसी बदमिजाजी, सनकी और परिवारवादी व्यक्ति के हाथ में नहीं सौंपेंगे।
कोल्हान के टाइगर को झामुमो ने चूहा बना दिया
बता दें कि चंपाई सोरेन के इस्तीफे के बाद और हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण के बाद विपक्षी दल लगातार हेमंत सोरेन और उनके परिवार पर हमलावर है। 3 जुलाई को भी बाबूलाल ने एक पोस्ट कर दिशोम गुरु शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री पर जमकर निशाना साधा था। बाबूलाल ने लिखा था कि झामुमो में शिबू सोरेन परिवार से बाहर का आदिवासी केवल काम चलाऊ है। शिबू सोरेन परिवार जब जैसा चाहे उसका उपयोग करेगा और फिर उसे दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंकने का काम किया। उन्होंने कहा कि 5 महीना पहले परिवारवाद से ऊपर उठकर मुख्यमंत्री चुनने की बात करने वाले झामुमो का असली चेहरा उजागर हो गया। ये झामुमो के अन्य आदिवासी नेताओं के लिए एक सबक है। भले ही 5 महीने तक चंपाई सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री थे लेकिन पद पर रहने के बावजूद उन्हें बार-बार अपमानित किया गया। इंडिया गठबंधन ने कोल्हान के टाइगर को चूहा बना दिया।
अपने हाथों से नियुक्ति पत्र नहीं बांट पाने का अफसोस- चंपाई सोरेन
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार चंपाई सोरेन शुक्रवार को अपने गृह जिला सरायकेला पहुंचे थे। जहां उन्होंने अपने पांच महीने के कार्यकाल को लेकर बात की। इसी दौरान चंपाई सोरेन का दर्द छलका था। उन्होंने कहा कि जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया शुरू करायी, लेकिन अफसोस है कि अपने हाथों से नियुक्ति पत्र नहीं बांट सका। बता दें कि बाबूलाल सरकार की किरकिरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। वह आए दिन सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर सत्ता पक्ष पर हमला बोलते रहते हैं।