द फॉलोअप डेस्कः
राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज नेमरा जाएंगे। दरअसल शिबू सोरेन के पिता और हेमंत सोरेन के दादा सोबरन सोरेन का 66वां शहादत दिवस आज है। जिसे गोला प्रखंड के बरलंगा लुकैयाटांड़ में मनाया जायेगा। मालूम हो कि हर साल शहादत दिवस पर नेमरा में कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जिसमें हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं और सोबरन सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ, शिबू सोरेन सहित कई मंत्री, विधायक और नेता भी पहुंचेंगे। बता दें कि कार्यक्रम को लेकर भव्य का निर्माण हुआ है, जिसमें 10 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। पिछले वर्ष भी सीएम और शिबू सोरेन लुकैयाटांड़ पहुंचे थे, जहां मुख्यमंत्री ने अपने दादा के संघर्ष की कहानी बयां करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, महाजनी प्रथा के खिलाफ सोबरन सोरेन ने बिगुल फूंका था, इसीलिए उनकी हत्या महाजनों ने कर दी गई थी। इसके बाद उनके पिता शिबू सोरेन ने झारखंड के गरीबों के लिए आंदोलन कर अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। गरीबों के संघर्ष को कम करने के लिए वे लगातार प्रयासरत है। इसलिए झारखंड को समृद्ध बनाने लिए गांवों को मजबूत करना होगा। झारखंड वीरों का राज्य है। यहां सभी को सहेजकर रखने की जरूरत है, ताकि राज्य में फिर से दलित, पिछडों व आदिवासियों का दोहन-शोषण न हो सके।
सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम
ख्यमंत्री हेमंत के आगमन की तैयारियां पूरी कर ली गई है। जिले के अधिकारियों के द्वारा कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया जा रहा है एवं कार्यक्रम स्थल पर पानी बिजली स्वास्थ्य संबंधी आदि की सुविधायें बहाल कर दी गई है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम इंतजाम कर लिए गये हैं। मजिस्ट्रेट के साथ-साथ पुलिस बल की तैनाती की गई है। डीसी चंदन कुमार और एसपी पीयूष पांडे ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर खुद मॉनिटरिंग की है। रामगढ़ झामुमो जिला अध्यक्ष विनोद किस्कू भी मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर की गई तैयारी की देखरेख कर रहे हैं। गौरतलब है कि अमर शहीद सोबरन सोरेन पेशे से शिक्षक थे और उस समय जमींदारी प्रथा का विरोध करते थे। उन्होंने महाजनी शोषण और गांव में शराबबंदी को लेकर आवाज उठायी। तब पू इलाके में महाजनों का ही राज था। जमींदारों ने उनकी हत्या 27 नवंबर 1957 को लुकैयाटांड़ में कर दी थी।
पिता की हत्या का गहरा असर पड़ा था शिबू सोरेन पर
बताया जाता है कि जिस वक्त सोबरन सोरेन की हत्या हुई थी, वह अपने गांव नेमरा से गोला हाई स्कूल जा रहे थे। शिबू सोरेन इसी स्कूल के हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रहे थे। सोबरन सोरेन उनके लिए चावल लेकर जा रहे थे, इसी दौरान पहाड़ी क्षेत्र लुकेयाटांड़ में सोबरन सोरेन की महाजनों ने हत्या कर दी थी। उनकी याद में इसी स्थान पर हर साल शहादत दिवस मनाया जाता है। इस हत्याकांड ने शिबू सोरेन के मन पर गहरा प्रभाव डाला था। बाद में लंबे संघर्ष के बाद पूरे इलाके से सूदखोरी प्रथा का उन्होंने खात्मा किया।
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