द फॉलोअप डेस्कः
कोयला कंपनियों पर झारखंड के 1.36 लाख करोड रुपए के बकाया राशि के दावे को केंद्र सरकार की तरफ से ठुकराए जाने से फिर एक बार राजनीति गरमा गई है. केंद्र सरकार ने झारखंड सरकार के 1.36 लाख करोड रुपए बकाया वाले दावे को सिरे से नाकार दिया है। जिसके बाद हेमंत सरकार एक्शन में आ गई है। कोल कंपनियों के यहां 1.36 लाख करोड़ रुपए बकाए की वसूली के लिए राज्य सरकार ने लीगल प्रोसेस शुरू करने का आदेश दिया। राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा आदेश जारी किया गया है। भू-राजस्व विभाग के विशेष सचिव को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। विशेष सचिव 15 दिनों के अंतराल पर भू-राजस्व सचिव को विधिक कार्रवाई की प्रगति से अवगत कराएंगे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि हमारी मांग जायज है। राज्य के भाजपा सांसद भी बकाए की मांग के लिए केंद्र और संसद में आवाज बुलंद करें। मंगलवार को सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि भाजपा सांसदों से उम्मीद है कि वे आवाज बुलंद करेंगे। झारखंड के विकास के लिए यह बेहद जरूरी है। इधर, राज्य सरकार 20 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में राज्यों के साथ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की होने वाली केंद्रीय प्री बजट मीटिंग में भी इस मांग को उठाएगी। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर राज्य की ओर से मेमोरेंडम रखेंगे। वित्त सचिव प्रशांत कुमार भी रहेंगे।
झारखंड भाजपा के सांसदों से उम्मीद है की वे हमारे इस जायज़ माँग को दिलवाने के लिए अपनी आवाज़ अवश्य बुलंद करेंगे।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) December 17, 2024
झारखंड के विकास के लिए यह राशि नितांत आवश्यक है। pic.twitter.com/wDMaqFCxyO
जानिए... क्या है मामला
बिहार के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में सोमवार को केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने संसद में कहा था कि कोयले से प्राप्त 1.40 लाख करोड़ रुपए के राजस्व के रूप में अर्जित कर में झारखंड सरकार का कोई हिस्सा से केंद्र सरकार के पास न बकाया है न ही लंबित है।