द फॉलोअप डेस्कः
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य के भूमिहीन आदिवासियों को वन पट्टा दिया जाएगा। इसके लिए अक्टूबर से बड़े स्तर पर वनाधिकार अभियान अबुआ वीर दिशोम अभियान शुरू होने जा रहा है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वन क्षेत्र के अंतर्गत हर गांव में वनाधिकार समिति (एफआरसी), अनुमंडल स्तरीय वनाधिकार समिति (एसडीएलसी) और जिलास्तरीय वनाधिकार समिति (डीएलसी) का पुनर्गठन किया जाएगा। वनाधिकार समिति के पुनर्गठन के लिए विशेष ग्रामसभा का आयोजन किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक एसटी, एससी, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने वनाधिकार अभियान की रूपरेखा तैयार कर ली है।
पिछले दिनों सीएम ने की थी समीक्षा
मुख्यमंत्री अक्तूबर से दिसंबर तक चलने वाले वनाधिकार अभियान - अबुआ वीर दिशोम अभियान की शुरुआत राज्य स्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला के माध्यम से करेंगे। इसके बाद सितंबर में विशेष ग्राम सभा के माध्यम से वनाधिकार समितियों का पुनर्गठन होगा। बता दें कि सीएम ने पिछले दिनों वनाधिकार कानून 2006 के तहत राज्य में वन पट्टा आवंटन की धीमी गति पर एक समीक्षा बैठक में नाराजगी जताई थी। इसके बाद सभी डीसी और सभी वन प्रमंडल अधिकारियों से फीडबैक लेते हुए अभियान की रूपरेखा तैयार की गई है। कुछ बिंदुओं और तारीखों पर अंतिम सहमति शेष है। इसी हफ्ते अभियान को अंतिम रूप देकर इसे शुरू करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ेगी करीब 10 हजार सामुदायिक (सीएफआर) और 40 हजार व्यक्तिगत वन पट्टा (आईएफआर) से संबंधित लंबित और अस्वीकार आवेदनों की समीक्षा नवंबर में की जाएगी। करीब नौ हजार आवेदनों का निष्पादन किया गया है जबकि 31 हजार आवेदन अस्वीकार किए गए हैं।
ग्राम सभा से अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी
मालूम हो कि अक्टूबर से दिसंबर के दौरान अभियान के माध्यम से लंबित और अस्वीकार किए गए दावों की समीक्षा कर वन पट्टा दिया जाएगा। लेकिन इसके बाद भी वन पट्टा के लिए आवेदन और आवंटन की प्रक्रिया सतत रूप से चलती रहेगी। इसी के तहत वनाधिकार समितियों का पुनर्गठन की योजना बनाई गई है। अक्टूबर से नवंबर के बीच वनाधिकार दावा का सृजन और वनाधिकार समिति के माध्यम से ग्राम सभा से अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। एफआरसी की ओर से सृजित दावों की स्वीकृति और अनुशंसा के लिए विशेष ग्राम सभा का आयोजन नवंबर माह में होगा। दिसंबर में अनुमंडल स्तरीय वनाधिकार समिति की ओर से अनुमोदित दावों पर जिला स्तरीय समिति की समीक्षा और वन पट्टों के वितरण की तैयारी की जाएगी। इसके बाद अधिकारों का रिकॉर्ड में सभी मान्यता प्राप्त पट्टों का विवरण की प्रविष्टि और वितरण की प्रक्रिया शुरू होगी।
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