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चिंतन शिविर : मंत्री बन्ना गुप्ता का छलका दर्द कहा- जब मांझी ही नाव डुबोए… उसे कौन बचाए

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रांची:

कांग्रेस की चिंतन शिविर में कांग्रेसियों की यही चिंता देखने को मिली कि झारखंड में कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान राज्य के सीएम हेमंत सोरेन ही पहुंचा रहे हैं। गठबंधन की सरकार में कांग्रेस दो साल बाद भी अपनी भूमिका की तालाश में है। कहते हैं दर्द जब हद से गुजर जाता है, तो जुबां अपने आप खुल जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ तीन दिवसीय चिंतन शिविर के आखरी दिन। जहां राहुल गांधी ने अपने मंत्रियों को ये कहा कि आपको उस जगह पर एक कार्यकर्ता पहुंचाया है और अगर उसकी आकांक्षा पूरी नहीं होती तो वे आपको उस पद से हटा भी सकता है। उन्होंने झारखंड में कांग्रेस को मजबूत करने की बात कही।

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सीएम पहुंचा रहे कांग्रेस को नुकसान
बन्ना गुप्ता ने शिविर में अपनी बात रखते हुए कहा कि उस नाव का क्या होगा, जिसे मांझी ही डुबाना चाहतो हो। उन्होंने कहा कि राज्य के वर्तामन सीएम हेंमत सोरेन ही नहीं चाहते कि राज्य में कांग्रेस बचे। इसके लिए वे सारे तरिके अपना रहे हैं। हमारे कोर वोटरों को अपनी ओर करने के लिए सारे उपाये लगाये जा रहे हैं। बन्ना यहीं शांत नहीं हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र भाषा के साथ समझौता पार्टी को नहीं करना चाहिए और अगर ऐसा होता है तो वे इस्तीफा देने में देर नहीं करेंगे।

बन्ना की नसीहत- याअपनी जमीन मजबूत करने की कवायद
बन्ना गुप्ता के इस एलान के बाद से तरह-तरह की चर्चा हो रही है। सरकार के अंदर शामिल पार्टी या फिर विरोधी भी इसे अपने अपने रूप में बयां कर रहे हैं। लेकिन इस बयान को अनुभवी अपने रंग से देख रहे हैं। ये माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन की मंत्रिमंडल में फेर-बदल होना है। इसकी तस्दीक कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पाण्डेय ने भी कर दी है। हटने वालों में सबसे प्रबल नाम बन्ना गुप्ता का ही है। क्योंकि कोरोना काल के दौरान जो विधायकों ने अपने क्षेत्र में समस्या झेली उसकी वे शिकायत भी कई बार कर चुके हैं। अब बन्ना गुप्ता गुप्ता भाषा विवाद को मुद्दा देकर शहीद का दर्जा प्राप्त करना चाह रहे हैं, ताकि उनके क्षेत्र के वोटर मंत्री पद से हटने के बाद भी उनसे जुड़े रहें। आपको बता दें कि विधानसभा क्षेत्र से बन्ना गुप्ता आते हैं वहां ज्यादातर लोग हिन्दी, भोजपुरी, मिथला, मगही और अनिय भाषाओं को बोलते हैं। लिहाजा बन्ना ये नहीं चाहते कि सरकार उन भाषा को नियोजन से हटाये।