द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड हाई कोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन की प्रधान सचिव और तत्कालीन उद्योग सचिव वंदना दादेल को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने उनकी अपील को स्वीकार करते हुए उनके खिलाफ सीबीआई जांच करने और उनपर विभागीय कार्रवाई करने के सिंगल बेंच के आदेश को रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षतावाली बेंच ने यह आदेश वंदना दादेल, बेबको मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड और आदित्यपुर औद्योगिक विकास प्राधिकार (आयडा) की याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई करते हुए दिया।
कोर्ट ने कहा- तथ्य की जांच किये बिना आदेश देना गलत
हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षतावाली बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि वंदना दादेल को मौका दिये बिना और तथ्य की जांच किये बिना याचिका में सीबीआई जांच का आदेश देना गलत है। इसलिए वंदना दादेल के खिलाफ सीबीआई जांच करने और विभागीय कार्यवाही के सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त किया जाता है। साथ ही कोर्ट ने आयडा को निर्देश दिया है कि वह बेबको मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड को फिर से नोटिस दे और उसे अपनी बात रखने का मौका दे और उसके बाद फिर से आदेश पारित करे।
यह है मामला
दरअसल, आयडा ने इंडस्ट्रियल परपस पर बेबको मोटर्स को जमीन दी थी। बेबको मोटर्स ने वहां सर्विस सेंटर खोला था। इस पर आयडा की ओर से बेबको मोटर्स को नोटिस जारी कर 51 लाख रुपये की मांग की गयी। कहा गया कि चूंकि वह 14 हजार स्क्वॉयर फीट का शोरूम चली रही है, इसलिए 51 लाख रुपये दे। इसके जवाब में बेबको मोटर्स की ओर से कहा गया कि वह उस जमीन पर शोरूम नहीं चला रहे हैं, वहां खाली जगह है, जहां कार को तैयार कर रखा जाता है। यहां कार को रिपेयर भी किया जाता है। नयी गाड़ी का स्टॉक यार्ड है और कार डिलीवरी के लिए यह छोटी सी जगह है। बेबको का शोरूम बिष्टुपुर में स्थित है। इसलिए आयडा द्वारा 51 लाख रुपये की मांग करना गलत है। बेबको मोटर्स ने कहा कि आयडा ने उनकी बातों को सुने बिना ही नोटिस जारी कर 51 लाख रुपये मांगे हैं। इसे लेकर बेबको मोटर्स की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी।
नियमों का उल्लंघन कर जमीन देने की बात आयी थी सामने
हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने बेबको मोटर्स की याचिका पर सुनवाई करने के दौरान पाया था कि आयडा में नियमों का उल्लंघन कर जमीन आवंटित की गयी है। साथ ही, कई संस्थानों के लिए जमीन की व्यावसायिक दर तय की गयी है। उसके बाद कोर्ट ने आयडा की तत्कालीन अध्यक्ष और तत्कालीन उद्योग विभाग सचिव वंदना दादेल को ऐसे मामलों में संलिप्त मानते हुए उनके खिलाफ सीबीआई जांच के साथ-साथ विभागीय कार्यवाही करने का आदेश दिया था। वंदना दादेल ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए पहले हाई कोर्ट ने वंदना दादेल के खिलाफ सीबीआई जांच और विभागीय कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगायी थी और अब वंदना इस मामले में सिंगल बेंच के आदेश को रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने आयडा के बायलॉज की मांगी थी जानकारी
गौरतलब है कि पूर्व में जब इस मामले की सुनवाई हो रही थी, तब हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने आयडा के बायलॉज और अधिकार क्षेत्र के मामले में जानकारी मांगी थी। उस वक्त कई तथ्य सामने आये। यह तथ्य भी सामने आया कि आयडा में फैक्ट्री लगाने की बजाय शोरूम खोलने का भी प्रावधान है। इस पर कोर्ट ने पूछा था कि क्या आयडा खुद इस तरह का प्रावधान कर सकता है। क्या किसी एक्ट में बदलाव के लिए विधायिका की स्वीकृति नहीं लेनी है? इसके जवाब में बताया गया था कि आयडा के निदेशक मंडल ने सर्वसम्मति से ऐसा करने का फैसला लिया था। यह भी फैसला लिया गया था कि फैक्ट्री की जगह शोरूम खोलनेवालों से व्यावसायिक शुल्क लिया जायेगा, ताकि राजस्व आता रहे। कोर्ट को बताया गया कि जब यह फैसला लिया गया, तब आयडा की तत्कालीन अध्यक्ष वंदना दादेल भी बैठक में मौजूद थीं। कोर्ट को बताया गया था कि आयडा में 15 शोरूम चल रहे हैं।
सिंगल बेंच ने कही थी यह बात
वंदना दादेल के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश देते हुए हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा था कि लगता है कि आयडा में अधिकारी अधिकार का दुरुपयोग कर जमीन का आवंटन कर रहे हैं। इसमें अधिकारियों का निजी स्वार्थ भी हो सकता है। जिस वक्त शोरूम के लिए व्यावसायिक दर तय हुई, उस वक्त वंदना दादेल ही आयडा की अध्यक्ष थीं। उद्योग सचिव बनने के बाद भी इस मामले में वंदना दादेल ने कोई एक्शन नहीं लिया। इससे ऐसा लगता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से यह गड़बड़ी की जा रही है।
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