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HC ने स्विटजरलैंड निवासी के खिलाफ जारी समन को रद्द किया, रांची CJM ने किया था समन जारी

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द फॉलोअप डेस्क

 झारखंड हाईकोर्ट ने एक आपराधिक मामले में स्विस निवासी नागरिक को जारी किया गया समन खारिज कर दिया है। अदालत ने मामले के तथ्यों को देखते हुए कहा कि समन जारी करने के लिए सीधे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की अदालत का दरवाजा खटखटाया गया, जिसे कानून के अनुसार सही नहीं माना जा सकता।
अदालत ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT) के तहत, जब जांच एजेंसी किसी देश से किसी व्यक्ति की उपस्थिति मांगती है, तो उसे गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा विभाग को अपना मसौदा अनुरोध भेजना आवश्यक है।
मार्क रीडी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
यह मामला आयरलैंड के नागरिक और स्विटजरलैंड के स्थायी निवासी मार्क रीडी से जुड़ा हुआ है। रांची सिविल कोर्ट के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) ने उनके खिलाफ समन जारी किया था, जिसके बाद मार्क रीडी ने इस समन को रद्द कराने के लिए झारखंड हाईकोर्ट का रुख किया। अपनी याचिका में रीडी ने कहा कि उन्हें जो समन जारी किया गया है, वह बिना किसी कानूनी अधिकार के है और यह भारत और स्विटजरलैंड के बीच की पारस्परिक कानूनी सहायता संधि के अनुरूप नहीं है।
आरोप और शिकायत
मार्क रीडी के खिलाफ किशोर एक्सपोर्ट्स के मालिक दीपक अग्रवाल ने शिकायत की थी। इस शिकायत में आरोप लगाया गया कि रीडी और उनकी कंपनी WINC के कर्मचारियों ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 419 (छल), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), और 471 (जाली दस्तावेज़ का उपयोग) के तहत अपराध किए हैं।
दीपक अग्रवाल की शिकायत पर जांच अधिकारी ने आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के लिए याचिका दायर की थी, जिसके बाद रांची के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने समन जारी किया और गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा-द्वितीय प्रभाग के अवर सचिव (कानूनी प्रकोष्ठ) को मामले के संबंध में समन तामील करने का अनुरोध किया।
जांच अधिकारी को गृह मंत्रालय से संपर्क करने का निर्देश
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि समन जारी करने से पहले जांच अधिकारी को गृह मंत्रालय से संपर्क करना चाहिए था। इस मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी के सामने हुई। अदालत ने जांच अधिकारी के कार्यप्रणाली को असंवैधानिक मानते हुए समन को खारिज कर दिया और मामले की आगे की प्रक्रिया के लिए उचित दिशा-निर्देश दिए।
 

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