द फॉलोअप डेस्क, रांची:
चाईबासा सांसद गीता कोड़ा ने आज बीजेपी ज्वॉइन कर ली। बाबूलाल मरांडी, अमर बाउरी और ढुल्लू महतो की मौजूदगी में गीता कोड़ा ने कांग्रेस छोड़, बीजेपी का दामन थाम लिया। गौरतलब है कि झारखंड की 14 में से 12 लोकसभा सीटों पर एनडीए काबिज थी। केवल, चाईबासा और राजमहल ही गठबंधन के खाते में था लेकिन अब गीता कोड़ा के बीजेपी में शामिल होने से उनके पास महज 1 सीट ही रह गई है। बता दें कि राज्य की सभी 14 लोकसभा सीटों पर जीत का संकल्प लेने वाली बीजेपी की निगाह चाईबासा और राजमहल सीट पर ही थी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले झारखंड में कांग्रेस की एकमात्र सांसद गीता कोड़ा के बीजेपी ज्वॉइन कर लेने से प्रदेश की सियासत में खलबली है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या गीता कोड़ा ने प्रदेश में कांग्रेस के नाराज विधायकों के लिए भगदड़ की राह खोल दी है? बता दें कि, हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपाई सोरेन सरकार के गठन में मंत्रिपद को लेकर कांग्रेस पार्टी के 17 में से 12 विधायक नाराज हो गये थे।
झारखंड कांग्रेस में असंतोष किसी से छिपा नहीं
झारखंड कांग्रेस में असंतोष है, यह किसी से छिपा नहीं है। मंत्रिपद को लेकर, पिछले तकरीबन 2 साल से कांग्रेस पार्टी के विधायक नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। 16 फरवरी को जब मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो विधायक की नाराजगी खुलकर सामने आई। नाराज कांग्रेस विधायक दिल्ली चले गये। इनमें दीपिका पांडेय सिंह, अंबा प्रसाद, उमाशंकर अकेला, इरफान अंसारी, नमन बिक्सल कोंगाड़ी, राजेश कच्छप और अनूप सिंह सहित अन्य विधायक थे। पूर्णिमा नीरज सिंह और शिल्पी नेहा तिर्की भी उन विधायकों में शामिल हैं जिन्होंने कांग्रेस कोटे के सभी चारों मंत्रियों को बदलने की मांग की थी। अभी तो किसी तरह डैमेज कंट्रोल किया गया है लेकिन भविष्य की कौन जानता है? इस बीच गीता कोड़ा के पाला बदलने से हलचल तेज हो गई है।
गीता कोड़ा ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया
गीता कोड़ा ने बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद द फॉलोअप से एक्सक्लूसिव बातचीत में क्या कहा? उन्होंने कहा कि झारखंड में गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी ने हमेशा खुद को पीछे रखा। प्रदेश का शीर्ष नेतृत्व सरकार में मजबूती से अपनी बात नहीं रख पाता। नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनी जाती। मैंने कई बार शीर्ष नेतृत्व को वस्तुस्थिति से अवगत कराना चाहा लेकिन नहीं सुनी गई। उन्होंने कहा कि गठबंधन से झारखंड का भला नहीं होगा। ऐसे में उपाय ही क्या था? गीता कोड़ा ने यह भी कह दिया कि यहां केवल चंद लोगों की चलती है। कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं होता। यही वजह है कि मैंने बीजेपी ज्वॉइन करने का फैसला किया। गीता कोड़ा ने आज पार्टी के विषय में जो कहा और कांग्रेस के नाराज विधायक पहले जो कहते आये हैं, उनमें बहुत सारी समानताएं हैं। गीता कोड़ा और विधायकों की कथनी में समानता क्या महज संयोग है? सूत्रों का कहना है कि चंपाई सोरेन सरकार में भले ही अभी सब ठीक दिख रहा है लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि वाकई सब ठीक है। सूत्रों का कहना है कि आज जो कदम गीता कोड़ा ने उठाये हैं, भविष्य में यदि ऐसा ही कुछ कांग्रेस के कुछ और नेता करते हैं तो हैरानी की बात नहीं होगी क्योंकि मौजूदा सियासत में पद, प्रतिष्ठा और सम्मान सबको चाहिए।
लोकसभा चुनाव से पहले क्या और नेता भी बदलेंगे पाला
अगले माह कभी भी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है। इसी साल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। बीजेपी जहां एक ओर 14 लोकसभा सीटों पर जीत के इरादे से आगे बढ़ रही है तो वहीं झामुमो और कांग्रेस के बीच अभी राज्य में सीट शेयरिंग पर निर्णायक बातचीत नहीं हो सकी है। पिछले चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने झारखंड में 17 विधानसभा सीटें जीती थी और मंत्रिपद पर 12 विधायक नाराज हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि कांग्रेसी विधायकों की नाराजगी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सका तो आगामी लोकसभा या विधानसभा चुनावों में वे कोई भी रास्ता अख्तियार कर सकते हैं जो कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित होगा। गीता कोड़ा का पाला बदलना, झारखंड कांग्रेस में अंदरखाने मची हलचल की बानगी भर है।