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टीएसी का विवाद : राज्यपाल ने TAC नियमावली की फाइल लौटाई, कहा- शक्तियों का अतिक्रमण किया गया

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रांची: 

राज्य की हेमंत सरकार ने ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल को लेकर नई नियमावली बनाई थी। नई नियमावली में काउंसिल में कम से कम 2 सदस्यों को नामित करने का राज्यपाल का विशेषाधिकार समाप्त कर दिया गया था। तकरीबन सभी अधिकार मुख्यमंत्री के हाथ आ गये थे। अब इस नियमावली को राज्यपाल रमेश बैस ने मानने से इंकार कर दिया है। राज्यपाल ने कानूनी सलाह लेने के बाद टीएसी से संबंधित फाइल को मुख्य सचिव को लौटा दी है।

राज्यपाल का अधिकार समाप्त कर दिया गया
गौरतलब है कि टीएसी की नई नियमावली में राज्यपाल के अधिकार को समाप्त किया गया है। इसे राज्यपाल रमेश बैस ने गंभीरता से लिया है। राजभवन की तरफ से कहा गया है कि ये गलत है।  इस कदम को संविधान की मूल भावना के विपरित बताया गया है। कहा गया है कि जिस प्रकार टीएसी की नई नियमावली बनाई गई है वो राज्यपाल के अधिकारों और शक्तियों का अतिक्रमण है। ये भी कहा गया है कि नियमावली बदलने से पहले राज्यपाल का परामर्श नहीं लिया गया जो कि गलत है। 

टीएसी में न्यूनतम 2 सदस्यों की नियुक्ति का मामला
बता दें कि संविधान की पांचवी अनुसूची के मुताबिक टीएसी में कम से कम 2 सदस्यों की नियुक्ति का विशेषाधिकार राज्यपाल का होता है लेकिन हेमंत सरकार ने इसे खत्म कर दिया। राज्यपाल ने नियमावली को बदलने का सुझाव दिया है। ये भी कहा है कि पहले की तरह कम से कम 2 सदस्यों को नामित करने का अधिकार राज्यपाल को दिया जाये।

राज्यपाल रमेश बैस ने कानूनी सलाह भी ली
गौरतलब है कि फाइल लौटाने से पहले राज्यपाल रमेश बैस अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल सहित अन्य 2 कानून के जानकारों से सलाह ली थी। विशेषज्ञों ने भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई नियमावली पांचवी अनुसूची के विरुद्ध है। इसे कार्यपालिका नियमावली का भी उल्लंघन बताया गया है। बता दूं कि पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के समय ही इस पर विवाद हुआ था। उनके कार्यकाल में ही हेमंत सरकार टीएसी की नई नियमावली लाई थी। 

राज्य सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया
राज्य सरकार ने टीएसी के सभी सदस्यों का मनोनयन कर लिया था और मंजूरी के लिए फाइल द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा। द्रौपदी मुर्मू ने तब कुछ सदस्यों के मनोनयन पर सवाल उठाया। सबका विजिलेंस क्लियरेंस मांगा और फाइल लौटा दी, लेकिन राज्य सरकार ने राज्यपाल की चिंता को दरकिनार करते हुये महाधिवक्ता की राय ली और राज्यपाल की स्वीकृति के बिना ही नियमावली बदल दिया। टीएसी के गठन की अधिसूचना जारी कर दी। राज्यपाल की भूमिका भी खत्म कर दी। 

भारतीय जनता पार्टी की प्रतिक्रिया क्या है
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही टीएसी की नई नियमावली का विरोध करती आई है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश कह चुके हैं कि ये असंवैधानिक है। हाल ही में आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने भी कहा कि इसे हेमंत सरकार ने सरकारी डिपार्टमेंट बनाने की कोशिश की है।

प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने कहा है कि ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी को लेकर राज्य सरकार को राज्यपाल की सलाह माननी चाहिये। झारखंड पांचवी अनुसूची का प्रदेश है। इसमें राज्यपाल का विशेषाधिकार है। टीएसी को सशक्त बनाया जाना चाहिये।