द फॉलोअप डेस्क
बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता सैंकडों की संख्या में वर्तमान विधायक चमरा लिंडा के खिलाफ ज़ोरदार विरोध करने के लिए मुख्यमंत्री से मिलने रांची पहुंचे। लेकिन सीएम से मुलाकात नहीं होने पर वे गांधीवादी तरीके से मोराबादी में मौजूद बापू वाटिका में धरने पर बैठ गए। विधायक चमरा लिंडा को लेकर क्षेत्र में भारी नाराजगी है। वहां की जनता का कहना है कि विधायक कभी क्षेत्र में नहीं आते हैं, जबकि जनता ने उन्हें लगातार जीता कर विधानसभा भेजा। फिर भी लिंडा जनता की बीच कभी जगह नहीं बना पाएं।लोकसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ हुए थे बागी - जनार्दन टाना भगत
इस दौरान टाना भगत के संयोजक जनार्दन टाना भगत ने कहा कि लोकसभा चुनाव में चमरा लिंडा निर्दलीय चुनाव लड़े, जिसमें जनता ने उन्हें बुरी तरह से नकार दिया। इसके लिए चमरा लिंडा ने पार्टी से बगावत की थी, जिस कारण उन्हें पार्टी से निलंबित भी कर दिया गया। जनार्दन ने कहा कि लिंडा न कभी जनता के लिए विश्वासपात्र बन सके और न ही पार्टी के लिए। इसलिए जनता उनका जोरदार विरोध करती है और ऐसे भी उन्हें पार्टी के खिलाफ काम करने के कारण निलंबित कर दिया गया है।नए चेहरे को मिले मौका
इस मामले को लेकर कार्यकर्ताओं का कहना है कि क्षेत्र की जनता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पार्टी को पसंद करती है। यही कारण है कि चमरा लिंडा को क्षेत्र की जनता 2 बार से चुनाव जीता रही है। लेकिन इस बार वहां की जनता और कार्यकर्ता एक नए चेहरे को चुनना चाहते हैं। ऐसे में चमरा को टिकट देना,जनता के साथ धोखा होगा।
इस दौरान, झामुमो के प्रखंड अध्यक्ष अशोक खेरवार ने कहा की कल्पना सोरेन के नेतृत्व में मंईयां सम्मान यात्रा के समय भी विधायक चमरा लिंडा ने इससे दूरी बनाए रखी। इससे पता चलता है कि उनका जनता और पार्टी के प्रति कितना प्रेम है। वहीं, शीतल उरांव ने कहा कि बिशुनपुर की जनता चमरा लिंडा को पूरी तरह से नकार चुकी है। उन्हें न जनता से प्रेम है और न ही पार्टी से।