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मिसाल : यहां मस्जिद में होती है गणेश की पूजा, 44 साल पहले ऐसे हुई थी शुरुआत 

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द फॉलोअप डेस्क 
महाराष्ट्र के कोल्हापुर और सांगली जिले में पिछले 44 वर्षों से गंगा-जमुनी तहजीब को कायम रखा गया है। इन जिलों में हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसालें दी जाती हैं। बीबीसी से संपत मोरे की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां हिन्दू-मुस्लिम एक दसूरे के त्यौहार को एकसाथ मिलकर मनाते हैं। यहां की मस्जिदों में गणपति पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। जहां-जहां यह खबर पहुंचती है, लोग सुनकर हैरत में पड़ जा रहे हैं। सांगली जिले में एक छोटा गांव है गोटखिंडी, जहां इस परंपरा को ग्रामवासी दशकों से निभाते आ रहे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह परंपरा उनके पूर्वजों की देन है, जिसे अबतक वे निभाते आ रहे हैं।

गोटखिंडी में इस साल भी मनाई गई गणेश पूजा 

गोटखिंडी गांव के युवाओं ने एक समूह बनाया है, जिसका नाम 'न्यू गणेश मंडल' है। इस समूह के बैनर तले मस्जिद में गणपति पूजा मनाई गई है। मस्जिद में भगवान गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई। और इस तरह यहां के मस्जिद में गणेश पूजा मनाते 44 साल पूरे हो चुके हैं। पूजा से कुछ दिनों के पहले से ही यहां दोनों समुदाय के लोग पूजा की तैयारियों में जुट जाते हैं। पूजा खत्म होने तक दोनों समुदाय कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं। गांव के लोग कहते हैं कि वे जाती और धर्म के बंटवारे पर विश्वास नहीं रखते हैं।

इस तरह से शुर हुई थी परंपरा की शुरुआत 

बीबीसी की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई है। दरअसल, वर्ष 1961 में गोटखिंडी गांव में गणेश पुजा मनाई जा रही थी। तब भगवान गणेश की प्रतिमा को गांव के एक चौराहे में स्थापित किया गया था। भगवान गणेश की प्रतिमा को खुले आसमान के नीचे रखा गया था। उस रोज देर रात तेज बारिश हो रही थी। उसी वक्त गांव का एक निजाम पठाम नाम का एक मुस्लिम शख्स ने प्रतिमा को भीगता देख गणेश मंडल के लोगों को जानकारी दी। निजाम पठान ने मंडल के लोगों को सुझाव दिया कि प्रतिमा को बारिश से बचाने के लिए पास के मस्जिद में रख दी जाए। तब से उस मस्जिद में भगवन गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जा रही है, और इस तरह हर साल हिन्दू-मुस्लिम एकता को बरकरार रखा गया है।


 

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