द फॉलोअप डेस्क
बिहार में राज्य सरकार द्वारा कराये जा रहे भूमि सर्वेक्षण पर रोक लगाने के लिए बिहार में आवाजें तेज हो रही है। इसे लेकर संयुक्त किसान जन अभियान समिति के बैनर तले किसानों की बैठक की गयी। जिसमें बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण पर रोक लगाने के लिए किसान नेता डॉ श्यामनदंन शर्मा समेत दर्जनों किसानों ने एक आवेदन लिख कर मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, प्रमंडलीय आयुक्त, डीसीएलआर और सीओ को पत्र दिया है।
जमीन सर्वे को लेकर डॉ श्यामनदंन शर्मा ने कहा है कि वर्तमान में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण राजस्व विभाग द्वारा जब तक किसानों को जमीन संबंधित कागजात को अद्यतन नहीं किया जाएगा, तब तक भूमि सर्वेक्षण कार्य पर सरकार तत्काल प्रभाव से रोक लगाए। किसान नेता ने कहा कि अगर जमीन सर्वे का काम नहीं रोका गया, तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जाएगा।
ये है सरकार से मांग
किसान नेता डॉ श्यामनदंन शर्मा का कहना है कि राजस्व विभाग द्वारा जमीन मालिकों को गांव में कैंप लगाकर भूमि संबंधित अद्यतन अभिलेख उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसके बगैर किसानों का सर्वे कार्य बाधित हो रहा है। इसके अलावा जमीनदारों के द्वारा सरकार को दिए गए जमीनदारी रिटर्न के दस्तावेज, जमाबंदी, रजिस्टर-2 जो पुराने होने के कारण फट चुके हैं और ऋुटिपूर्ण हैं। उसे राजस्व कर्मचारी सुधार कर, खतिहान को लेकर हर पंचायत में कैंप करें।
इसके साथ ही डॉ शर्मा ने सरकार को यह भी बताया है कि सरकार के द्वारा पंचायत में बहाल अमीन भी किसानों के कुछ पूछने पर ज्यादा जानकारी नहीं दे रहे हैं। इस बैठक में किसान नेता डॉ श्यामनदंन शर्मा के साथ चंद्रमोहन सिंह, अशोक सिंह, सुरेश सिंह सहित अन्य किसानों ने भाग लिया।
6 वर्षों से लॉक है 2000 जमाबंदी
करीब 6ह वर्षों से फुलवारीशरीफ अंचल कार्यालय में दो हजार जमाबंदी लॉक हैं। जिसे खुलवाकर जमीन की दाखिल-खारिज अपने नाम करवाने के लिए लोगों को अंचल से लेकर डीसीएलआर कार्यालय तक दौड़ना पड़ रहा है। लोगों के सामने परिमार्जन की समस्या भी खड़ी है। जमीन सर्वे में लोगों को सबसे बड़ी समस्या दस्तावेजों को लेकर हो रही है।
कुछ लोगों के कागजात उर्दू में है, तो कुछ लोगों की कैथी लिपि, इस कारण आमलोगों के लिए दस्तावेज पढ़ पाना संभव नहीं है। ऐसे में दस्तावेज पढ़वाने के लिए लोग इधर-उधर भटक रहे हैं। लोगों को कागज पढ़ने वाले नहीं मिल रहे हैं, अगर कोई मिल भी रहा है तो जरूरत से अधिक पैसों की मांग कर रहा है। इस कारण रैयतों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
डीसीएलआर के पास आवेदन करने की फीस है हजारों में
जमाबंदी लॉक होने के कारण दाखिल-खारिज नहीं करवा पा रहे मीठापुर के जीतेंद्र कुमार बताते हैं कि डीसीएलआर के पास आवेदन करने मात्र के लिए वकील पांच हजार रुपये फीस मांग रहे हैं। जीतेंद्र कहते हैं कि इतने पैसे हम कहां से लाएंगे। एक ही प्लॉट होने के बावजूद जीतेंद्र कुमार के भाई दाखिल-खारिज करवा चुके हैं।
जबकि जीतेंद्र जब अपने दाखिल खारिज के लिए आवेदन देने पहुंचे तब उन्हें पता लगा कि जमाबंदी लॉक है। अंचलाधिकारी सुनील कुमार ने उन्हें बताया कि साल 2017 में पूरे बिहार में कुछ जमाबंदी को लॉक किया गया था। जिसे अनलॉक करने का अधिकार डीसीएलआर के पास है।