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मंत्रिमंडल से लेकर अध्यक्ष की कुर्सी के लिए कांग्रेसी लगा रहे दिल्ली की दौड़, महासचिव या बिहार प्रभारी हो सकते हैं सुबोधकांत सहाय

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द फॉलोअप डेस्क:
झारखंड कांग्रेस के कई विधायक इस फेर में लगे हैं कि शायद उन्हे मंत्रिमंडल में जगह मिल जाए। इसको लेकर लॉबिंग भी कर रहे हैं। रांची से  दिल्ली तक की दौड़ किसी ना किसी बहाने लगाया जा रहा है। इस लॉबिंग को बल भी इस बात से मिल रहा है कि मंत्रिमंडल में दो सीट खाली है। पूर्व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद से ही ये कहा जा रहा है कि पार्टी उनके परिवार के किसी सदस्य को चुनाव से पूर्व मंत्री पद दे सकती है। उपचुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। ऐसे में माना जा रहा है कि इसी माह में शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है। दूसरी ओर कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडेय ने पहले ही ये बयान दे दिया था कि कांग्रेस से मौजूदा मंत्रियों में से कुछ के काम संतोषजनक नहीं है। हालांकि, दूसरे दिन ही वे अपने इस बयान से पलट गए थे। मगर अभी भी ये माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में कांग्रेस को एक सीट और मिल सकती है। इसको लेकर ही सभी-सभी अपने-अपने स्तर से लॉबिंग कर रहे हैं। 

 

सुबोधकांत को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
कांग्रेस वर्किंग समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक होने वाली है। कहा जा रहा है कि इसमें झारखंड को लेकर चर्चा हो सकती है। इस दौरान तीनों निलंबित विधायकों पर भी फैसला होगा। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय को भी बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। मिली जानकारी के अनुसार सुबोधकांत को पार्टी में महासचिव या बिहार प्रभारी बनाया जा सकता है। अगले 10 दिनो में सीडब्ल्यूसी मेंबर की सूची जारी होगी। इसके बाद ही कांग्रेस में कोई बड़ा फैसला देखने को मिलेगा।

शिष्टाचार के बहाने लॉबिंग है तेज  
झारखंड के विधायक से लेकर वर्तमान व कई पूर्व सांसद दिल्ली दरबार में हाजिरी दे रहे हैं। प्रभारी से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष तक से मुलाकात कर रहे हैं। झारखंड में कांग्रेस की संभावना और सरकार को लेकर उनसे चर्चा कर रहे हैं। हर कोई अपने को बेहतर बताने में लगा है। हालांकि,  इस मुलाकात को सभी शिष्टाचार मुलाकात का नाम दे रहे हैं। सबके पास दिल्ली पहुंचने के कई बहाने हैं। दरअसल सभी की नजर मंत्रिमंडल से प्रदेश अध्यक्ष तक की कुर्सी पर है। आदिवासी और गैर-आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी लॉबिंग हो रही है। प्रदेश अध्यक्ष की रेस में बंधु तिर्की, सुखदेव भगत, प्रदीप बलमूचू के साथ-साथ सुबोधकांत सहाय, डॉ. अजय कुमार और काली चरण मुंडा भी हैं। अब देखना यह है कि किसकी लॉबिंग कैसी है। किसका तीर निशाने पर बैठता है। यह तस्वीर आने वाले कुछ दिनों में साफ हो जाएगी।

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