द फॉलोअप डेस्क, रांची:
झारखंड की 14 संसदीय सीटों पर स्थिति तकरीबन साफ हो चुकी है। 18वीं लोकसभा में झारखंड के कई विधायक, सांसद बनने का ख्वाब लेकर चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी। बोरियो से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेम्ब्रम राजमहल संसदीय सीट से चुनावी मैदान में थे लेकिन कहीं भी मुकाबले में नजर नहीं आये। मांडू संसदीय सीट से बीजेपी के विधायक रहे इन चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हो गये थे। उनको हजारीबाग संसदीय सीट से मनीष जायसवाल के सामने उतारा गया था जहां वे 2.5 लाख वोटों से पीछे चल रहे हैं। यह निर्णायक आंकड़ा भी कहा जायेगा।
सीता सोरेन को भी दुमका में मिली शिकस्त
जामा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक रहीं सीता सोरेन ने भी चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद बीजेपी में आ गई थीं। दुमका लोकसभा सीट पर उम्मीदवार सुनील सोरेन को बिठाकर सीता सोरेन को चुनावी मैदान में उतारा गया। सीता सोरेन दुमका संसदीय सीट से चुनाव हार गईं। टुंडी से झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद महतो को पार्टी ने गिरिडीह संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतारा था जहां वे अपने निकटम प्रतिद्वंदी आजसू के सीपी चौधरी से 80 हजार से ज्यादा मतों से चुनाव हारते दिख रहे हैं। लोहरदगा सीट पर झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने ताल ठोंकी थी। लगा था कि वे बड़ा असर डालेंगे लेकिन, वो 34 हजार के करीब वोट ही ले पाये। इससे पहले 2009 और 2014 में चमरा लिंडा यहां निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 1.15 लाख वोट हासिल कर पाये थे।
गोड्डा संसदीय सीट पर पौड़ेयाहाट विधायक प्रदीप यादव लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे। उनको निशिकांत दुबे ने 1 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराया।
18वीं लोकसभा में ये विधायक हार गये
गौरतलब है कि 18वीं लोकसभा में लोबिन हेम्ब्रम, सीता सोरेन, चमरा लिंडा, जेपी पटेल, मथुरा प्रसाद महतो और प्रदीप यादव सांसदी के लिए हाथ आजमा रहे थे लेकिन इनमें से सभी को हार मिली है। अब तक के नतीजों को देखें तो झारखंड की 14 संसदीय सीटों में से एनडीए गठबंधन 9 और इंडिया गठबंधन 5 सीटों पर जीत हासिल करता दिख रहा है। बीजेपी को लोहरदगा, खूंटी और दुमका सीट में हार मिली। 2019 में ये सीटें बीजेपी के खाते में थी।