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लातेहार : एक साल संर्घष के बाद आदिवासी युवक ब्रम्हदेव सिंह के हत्यारों पर दर्ज हुई प्राथमिकी, अब तक नहीं मिला है मुआवजा

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लातेहारः
12 जून 2021 को माओवादी सर्च अभियान पर निकले सुरक्षा बलों द्वारा पारंपरिक शिकार पर निकले पिरी (लातेहार) के निर्दोष आदिवासी युवा ब्रम्हदेव सिंह की गोली मार के हत्या कर दी गयी थी। ब्रम्हदेव सिंह की पत्नी जीरामनी देवी ने अपने पति की हत्या के लिए जिम्मेवार सुरक्षा बलों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए 29 जून को गारू थाना में आवेदन दिया था। लगभग एक साल बाद पुलिस ने प्राथमिकी (गारू थाना 11/2022 दिनांक 5 मई 2022) दर्ज की है।

सुरक्षा बलों ने फायरिंग कर दी थी
12 जून 2021 को सरहुल पर्व के पहले जंगल में पारंपरिक शिकार करने निकले पिरी गांव (गारू) के आदिवासी युवकों पर नक्सल अभियान पर निकले सुरक्षा बलों द्वारा फायरिंग हुई जिसमें 24 वर्षीय ब्रम्हदेव सिंह की गोली लगने से मृत्यु हो गयी। ग्रामीणों ने पुलिस को देखते ही हाथ उठा दिए और चिल्लाए कि वे आम जनता हैं और गोली न चलाने का अनुरोध किया। पीड़ितों द्वारा उनके भरूठवा बंदूक (जो छोटे जानवरों के पारंपरिक शिकार व फसल को जानवरों से बचाने के लिए इस्तेमाल होती है) से फायरिंग नहीं की गयी थी।  सुरक्षा बल व पुलिस द्वारा इस मामले को एक मुठभेड़ का जामा पहनाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में भी तथ्यों से विपरीत बाते दर्ज है। साथ ही, मृत ब्रम्हदेव समेत छः पीड़ित आदिवासियों पर आर्म्स एक्ट समेत कई धाराओं अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कर दी गयी है।


जारी रहा संर्घष 
झारखंड जनाधिकार महासभा इस मामले में लगातार न्याय के लिए संघर्षरत रहा है। दोषी सुरक्षा बल के विरुद्ध प्राथमिकी व कार्यवाई एवं पीड़ितों के परिवार के लिए मुआवज़ा की मांग ग्रामीणों व महासभा ने पिछले एक वर्ष में पुलिस अधीक्षक से लेकर मुख्यमंत्री तक कई बार अपील की। साथ ही, कई बार इसके विरुद्ध धरना व प्रदर्शन किया गया। स्थानीय पुलिस द्वारा कई बार ग्रामीणों पर मामला दर्ज न करने का दबाव बनाया गया था। प्राथमिकी न दर्ज होने के विरुद्ध जीरामनी देवी ने स्थानीय कोर्ट में कंप्लेंट केस दायर किया था। साथ ही, झारखंड उच्च न्यायालय में भी मामला दर्ज किया था। कानूनी लड़ाई में झारखंड PUCL ने सहयोग किया। 


अभी तक मुआवज़ा नहीं मिला
इस मामले ने राज्य सरकार की आदिवासियों के मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकने के प्रति प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। एक आदिवासी महिला को उसके पति के हत्या के विरुद्ध महज़ प्राथमिकी दर्ज करवाने में एक साल लगा, वो भी लगातार संघर्ष के बाद। अभी तक उन्हें किसी प्रकार का मुआवज़ा नहीं दिया गया है। हाल में (23 फरवरी 2022) उसी क्षेत्र के आदिवासी अनिल सिंह को पुलिस ने माओवादी को मदद करने के आरोप में गैर-क़ानूनी तरीके से तीन दिनों तक थाने में रखा और उस पर अमानवीय शारीरिक और मानसिक हिंसा किया. घटने के तीन महीने बाद भी अनिल के आवेदन पर दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है। 

 

महासभा झारखंड सरकार से अपनी मांगो को फिर से दोहराती है:

• ब्रम्हदेव सिंह की हत्या की प्राथमिकी पर ससमय न्यायसंगत कार्यवाई हो एवं हत्या के लिए ज़िम्मेवार सुरक्षा बल के जवानों व पदाधिकारियों पर दंडात्मक कार्यवाई की जाए.  पुलिस द्वारा ब्रम्हदेव समेत छः आदिवासियों पर दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाए.
• ब्रम्हदेव की पत्नी को कम-से-कम 10 लाख रु मुआवज़ा दिया जाए और उनके बेटे की परवरिश, शिक्षा व रोज़गार की पूरी जिम्मेवारी ली जाए. साथ ही, बाकी पांचो पीड़ितों को पुलिस द्वारा उत्पीड़न के लिए मुआवज़ा दिया जाए.
• अनिल सिंह (कुकू गाँव, बरवाडीह प्रखंड, लातेहार) पर हिरासत में किए गए हिंसा के लिए दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज हो, दंडात्मक कार्यवाई हो एवं अनिल को मुआवज़ा दिया जाए. 
• नक्सल विरोधी अभियानों की आड़ में सुरक्षा बलों द्वारा लोगों को परेशान न किया जाए. लोगों पर फ़र्ज़ी आरोपों पर मामला दर्ज करना पुर्णतः बंद हो. स्थानीय पुलिस को स्पष्ट निदेश हो कि पीड़ितों द्वारा दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज करने में किसी प्रकार की परेशानी न हो.
• पांचवी अनुसूची क्षेत्र में किसी भी गाँव के सीमाना में सर्च अभियान चलाने से पहले ग्राम सभा व पारंपरिक ग्राम प्रधानों की सहमती ली जाए. स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बलों को आदिवासी भाषा, रीति-रिवाज, संस्कृति और उनके जीवन-मूल्यों के बारे में प्रशिक्षित किया जाए और संवेदनशील बनाया जाए.