अमन मिश्रा:
सिमडेगा:- लोकसभा चुनाव है। नेता घर-घर जाकर लोगों के बीच वोट मांग रहे हैं। अपने विकास कार्यों को गिना रहे हैं लेकिन कई गांव ऐसे भी हैं जहां पर आज भी लोग ढिबरी युग में जीने पर मजबूर हैं। मामले की जानकारी मिलने पर द फॉलोअप की टीम जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर ठेठईटांगर प्रखंड के घुटबहार बांडिंग टोली गांव पहुंची। आजादी के 7 दशक बाद भी इस गांव में बिजली नहीं पहुंची। 3 वर्ष पहले ग्रामीणों को बिजली का मीटर थमा दिया गया। ग्रामीण इससे क्षुब्ध हैं।
गांव में विद्युतीकरण के नाम पर थमाया मीटर
ग्रामीणों ने बताया कि विद्युतीकरण के नाम पर यहां पर कुछ भी नहीं हुआ है। न तो गांव में बिजली का खंभा और ना ही तार लगा है। ग्रामीणों को मीटर दे दिया गया है। ऐसे में कई ग्रामीणों का बिजली बिल आ रहा है जिसको लेकर ग्रामीणों के अंदर भय का माहौल है। ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव दुर्गम जंगलों के बीच है। ये एलिफेंड कॉरिडोर क्षेत्र में भी आता है। गांव अक्सर जंगली हाथियों के विचरण से भयभीत रहता है। बिजली नहीं होने की वजह से बच्चों का पठन-पाठन भी प्रभावित हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि राशन दुकान से उनको 1 लीटर मिट्टी का तेल मिलता है लेकिन उससे महीने भर भी काम नहीं चल पाता।
जनप्रतिनिधियों ने शिकायत पर सुध नहीं ली
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार सरकार आपके द्वारा या फिर जनता दरबार में लिखित आवेदन दिया गया लेकिन किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विधायक सहित कई जनप्रतिनिधियों को बार- बार कहने के बाद भी आज तक इस गांव में विद्युतीकरण नहीं हुआ है। ग्रामीण अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बारिश के दिनों में एक जगह पुलिया नहीं होने की वजह से मुख्यालय का संपर्क टूट जाता है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन एवं विद्युत विभाग से आग्रह किया है कि गांव में जल्द से जल्द विद्युतीकरण किया जाए जिससे कि लोगों को बिजली को जटिल समस्या से निजात मिल सके साथ ही उन्होंने कहा कि जिसका भी बिजली बिल आ रहा है उनकी जांच करते हुए उसे बंद किया जाए ताकि लोगों के अंदर जो संशय है वह दूर हो।