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मोमबत्ती और मिट्टी तेल के सहारे भविष्य गढ़ने की जद्दोजहद में हैं अर्जुनटोली गांव के बच्चे

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अमन मिश्रा,सिमडेगाः
सिमडेगा जिले के ठेठईटांगर प्रखंड में बसे अर्जुन टोली गांव में आज तक कई नेता आये और गए। ताबड़तोड़ घोषणाएं होती रही। आश्वासन पे आश्वासन मिलता रहा। गांव के युवाओं की जवानी बुढ़ापे में ढल गई। पर दुर्भाग्य ऐसा कि इस गांव में न तो बिजली आई और न ही की गांव में मूलभूत सुविधाएं बाहाल हुई। यहां के बच्चे अपने जीवन को रोशन मोमबती और महज एक लीटर मिट्टी तेल के सहारे करने में जुटे हैं। पर इसकी चिंता न तो सरकार को है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को। गांव का विकास करने का ठेका लेने वाले सरकारी बाबुओं के पास तो गांव तक पहुंचने की फुर्सत नहीं है। अब तो ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट चुका है और उम्मीद की रोशनी भी बुझने लगी है।

हाथियों ने कई बार उजाड़ा आशियाना 

अर्जुन टोली गांव  से महज 200 मीटर की दूरी से  बिजली के खंभे भी और बिजली का तार भी गांव से होकर ही गुजरी है। पर इस तार से गांव में बिजली का कनेक्शन ही नहीं दिया गया है। इसी बिजली का तार से दूसरे गांव रोशन हो रहे हैं। जो अर्जुन टोली गांव के ग्रामीणों का मुंह चिढ़ाने के लिए काफी है। गांव में बिजली नहीं रहने से बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है। बच्चों की पढ़ाई लिखाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। पर विकास का दावा करने वाले सरकार और सरकारी बाबुओं के पास इसके लिए वक्त ही नहीं है। 25 परिवार की आबादी वाले अर्जुन टोली गांव में बल्ब नहीं जलने के कारण सालों भर जंगली हाथियों का आतंक बना रहता है। हाथियों ने कई बार गांव पहुंच आतंक मचाते हुए कई घर तोड़ चुके हैं। हाथियों के कारण कई ग्रामीणों का आशियाना उजड़ चुका है। लोग घर से बेघर हो चुके हैं। 

सांपों का बना रहता है खौफ

रात में अंधेरा रहने के कारण गांव में जहरीले सांप मौत बनकर जमीन में रेंगती रहती है। जिसके शिकार अब तक कई लोग हो चुके हैं। पर ग्रामीणों की समस्याओं को दूर करने की दिशा में किसी ने कोई पहल नहीं की। बिजली नहीं रहने का कारण ग्रामीणों को मोबाइल फोन चार्ज कराने के लिए भी 10 रूप खर्च करने पड़ते हैं। फोन चार्ज कराने के लिए पांच किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए सोलर जलमीनार तो लगाया गया। पर इनकी गुणवत्ता सही नहीं रहने  के कारण जलमीनार में लगे पानी टंकी फट गई। अब रोजाना इस टंकी से हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रही है। गांव में मूलभूत सविधाएं नहीं रहने के कारण अब तो मेहमानों ने भी गांव आना छोड़ दिया है। 

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