रांची:
केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस जारी किया है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि वो स्पष्टीकरण दें कि उनके खिलाफ खनन पट्टा लीज मामले में क्यों ना कार्रवाई की जाए। चुनाव आयोग ने कहा है कि उनके खिलाफ लगा आरोप प्रथम दृष्टया लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 (ए) का उल्लंघन करती है। गौरतलब है धारा 9 (ए) ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में जनप्रतिनिधि को अयोग्य घोषित करने से संबंधित है।
BREAKING: EC sends notice to Jharkhand CM Hemant Soren asking him to explain why action should not be taken against him for having a mine lease issued in his favour, which prima facie violates Section 9A of the R. P. Act. Section 9A deals with disqualification for govt contracts
— Bharti Jain (@bhartijainTOI) May 2, 2022
मुख्यमंत्री के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऊपर खनन पट्टा का लीज हासिल करने का आरोप लगा है। मुख्य विपक्षी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री ने पद का दुरुपयोग करते हुए अनगड़ा में खनन पट्टा का लीज हासिल किया। उन्होंने पट्टा हासिल करने के लिए पर्यावरण और खनन मंत्रालय का क्लियरेंस हासिल किया जबकि मुख्यमंत्री खुद इसके मंत्री हैं। बीजेपी ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बताते हुए राज्यपाल से शिकायत की थी। राज्यपाल ने इसे केंद्रीय निर्वाचन आयोग के पास भेज दिया था।
केंद्रीय निर्वाचन आयोग के पास विचाराधीन था मामला
शिकायत को लेकर केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव से आरोप से संबंधित रिपोर्ट मांगी थी। मुख्य सचिव द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद मामला केंद्रीय निर्वाचन आयोग के पास विचाराधीन था। इस मामले में झारखंड की सियासत भी काफी गरमाई हुई है। बीजेपी लगातार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ हमलावर है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित कई लोग मुख्यमंत्री से नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग कर चुके हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बचाव में क्या तर्क दिया था
इधर सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के अंतर्गत मुख्यमंत्री का मामला नहीं आता। जनप्रतिनिधि व्यवसाय कर सकता है। झामुमो ने ये भी कहा कि लीज 2008 में ही ली गई थी। मुख्यमंत्री ने 2019 के विधानसभा चुनाव में इसका जिक्र भी किया था। बाद में इसे रिन्युअल के लिए डाला था। मामला सामने आया तो उन्होंने लीज सरेंडर कर दिया। हाल ही में मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि विपक्ष के पास कोई काम नहीं है। वो अनर्गल आरोप लगाती है।