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सीता सोरेन और कल्पना के बीच छिड़ा डिजिटल वार, कहा- मुंह में अंगुली नहीं डालें, वरना...

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द फॉलोअप डेस्कः 
जामा से झामुमो की पूर्व विधायक सीता सोरेन ने मंगलवार को भाजपा का दामन थाम लिया। सीता सोरेन के भाजपा में जाने वाली बात इसलिए ज्यादा चर्चा में है क्योंकि वह शिबू सोरेन की बड़ी बहू है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी हैं। उनके भाजपा में जाने के बाद से ट्विटर पर डिजिटल वार चालू हो गया है। पहले तो कल्पना सोरेन ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने स्वर्गीय दुर्गा सोरेन के बलिदान का जिक्र किया था। उसके बाद सीता सोरेन की बेटी जयश्री ने ट्विट कर कहा था कि मैं अपने मां के फैसले का सम्मान करती हूं। ठीक उसके कुछ देर बाद राजश्री ने भी ट्वीट कर कहा कि अपनी वास्तविकता छिपाने के लिए मेंरे पिता का नाम इस्तेमाल ना करें। उसके बाद सीता सोरेन की बारी आई। उन्होंने एक के बाद एक लगातार कई ट्वीट किये हैं और कहा है कि मेरे मुंह में उंगली ना डाला जाए। बीजेपी में शामिल होने के बाद सीता सोरेन ने अपने गुस्से का इजहार किया है। 


पति के निधन के बाद जीवन भयानक सपने जैसा- सीता
अपने पहले ट्विट पर सीता सोरेन ने लिखा ' मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के निधन के बाद से मेरे और मेरे बच्चों के जीवन में जो परिवर्तन आया, वह किसी भयावह सपने से कम नहीं था। मुझे और मेरी बेटियों को न केवल उपेक्षित किया गया, बल्कि हमें सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी अलग-थलग कर दिया गया। '

ईश्वर जानता है मैने अपनी बेटिंयों के कैसे पाला-सीता सोरेन
दूसरे ट्वीट में लिखा 'ईश्वर जानता है कि मैंने इस दौर में अपने बेटियों को कैसे पाला है. मुझे और मेरी बेटियों को उस शून्य में छोड़ दिया गया, जहां से बाहर निकल पाना हमारे लिए असंभव लग रहा था. मैंने न केवल एक पति खोया, बल्कि एक अभिभावक, एक साथी और अपने सबसे बड़े समर्थक को भी खो दिया.'


इस्तीफा के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं- सीता सोरेन
अपने तीसरे ट्वीट में सीता सोरेन ने लिखा 'मेरे इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है। यह मेरी और मेरी बेटियों की पीड़ा, उपेक्षा और हमारे साथ हुए अन्याय के खिलाफ एक आवाज है। जिस झारखंड मुक्ति मोर्चा को मेरे पति ने अपने खून-पसीने से सींचा, वह पार्टी आज अपने मूल्यों और कर्तव्यों से भटक गई है।'


झामुमो मेरे लिए पार्टी नहीं परिवार का हिस्सा था-सीता सोरेन
अपने चौथे ट्वीट में उन्होंने लिखा 'मेरे लिए, यह सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि मेरे परिवार का एक हिस्सा था। मेरा निर्णय भले ही दुःखदायी हो, लेकिन यह अनिवार्य था। मैंने समझ लिया है कि अपनी आत्मा की आवाज़ सुनना और अपने आदर्शों के प्रति सच्चे रहना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।'
इस्तीफे को व्यक्तिगत संघर्ष के रूप में देखें-सीता सोरेन
अपने पांचवे ट्वीट में बीजेपी नेत्री ने लिखा 'मैं समस्त झारखंडवासियों से अनुरोध करती हूं कि मेरे इस्तीफे को एक व्यक्तिगत संघर्ष के रूप में देखें, न कि किसी राजनीतिक चाल के रूप में'

मेरे मुंह में अंगुली नहीं डालें- सीता सोरेन
अपने छठे ट्वीट में सीता सोरेन ने लिखा 'झारखंड और झारखंडियों के लिये अपने जीवन का बलिदान देने वाले स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के नाम की आज दुहाई देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोगों से विनती है कि मेरे मुंह में अंगुली नहीं डालें, वरना अगर मैं और मेरे बच्चों ने मुंह खोलकर भयावह सच्चाई उजागर किया तो कितनों का राजनैतिक और सत्ता सुख का सपना चूर-चूर हो जायेगा और झारखंड की जनता वैसे लोगों के नाम पर थूकेंगी जिन्होंने हमेशा से दुर्गा सोरेन और उनके लोगों को मिटाकर समाप्त करने की साज़िश की है।'

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