रांची:
सेना में जाकर देश सेवा की चाह रखने वाले युवा सड़क पर हैं। वे नाराज हैं। आक्रोशित हैं। सरकार से गुस्सा हैं। विरोध जता रहे हैं। नजारा राजधानी रांची के सेना भर्ती बोर्ड कार्यालय के सामने का है। गुरुवार की दोपहर यहां सैकड़ों की संख्या में वैसे युवा इकट्ठा हुए थे जिन्होंने सेना में जाने का ख्वाब सजाया है। युवा, जो रोजाना पौ फटने से पहले ही बहियार और मैदानों में नंगे पांव दौड़ लगाता है।
चना और गुड़ खाकर दंड बैठक लगाता है। बासी भात खाकर जी-तोड़ कसरत करता है ताकि एक दिन सेना का हिस्सा बन सके। मां-बाप का सहारा बन सके लेकिन फिलहाल ये नाराज है, क्योंकि इन्हें लगता है कि उनकी उम्मीद टूट गई। कारण है सेना भर्ती के लिए जारी नई स्कीम।
सवाल है कि आखिर सेना भर्ती के लिए नई स्कीम की घोषणा से तैयारी करने वाले युवाओं को खुशी होनी चाहिए थी तो नाराजगी किस बात की है।
मंगलवार को रक्षामंत्री ने की थी घोषणा
इन सबकी शुरुआत हुई मंगलवार को। उस दिन केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाध्यक्षों की उपस्थिति में एक स्कीम लॉंच किया। इसके तहत सेना के तीनों अंगों में भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है। स्कीम का नाम है मिशन अग्निपथ। इस स्कीम के तहत चुने गए रंगरूटों को अग्निवीर कहा जाएगा।
नियुक्ति 4 साल के लिए होगी। पहले चरण में न्यूनतम 40 हजार युवाओं का चयन किया जाएगा। कार्यकाल होगा 4 साल का है। 4 साल बाद अग्निवीर सेवा मुक्त कर दिए जाएंगे।
चयन के लिए आयुसीमा 17 से 21 साल निर्धारित की गई है। इन 4 सालों में वेतनमान 21 हजार से शुरू होकर 40 हजार तक जाएगा।
4 साल तक ही सेवा में रहेंगे अग्निवीर
4 साल बाद सेवामुक्त होने पर 10 लाख रुपये की एकमुश्त राशि मिलेगी, पेंशन नहीं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया है कि 4 साल बाद कुल अग्निवीरों में से 25 फीसदी को ही आगे सेवा में रखा जाएगा, बाकी 75 फीसदी के लिए सरकार निजी और सरकारी संस्थानों में अन्य नौकरियों की व्यवस्था करेगी। कैसे, फिलहाल स्पष्ट नहीं है। अग्निपथ स्कीम में कई मोर्चों पर विरोध है।
युवाओं को लग रहा है कि 4 साल बाद उनका भविष्य अनिश्चित हो जायेगा। पेंशन नहीं मिलेगी। दरअसल, 2 साल पहले सेना भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई थी। मेडिकल और शारीरिक दक्षता परीक्षण हो चुका है। लिखित परीक्षा आजतक नहीं हुई। युवाओं को लग रहा है कि अग्निपथ स्कीम की आड़ में उस प्रक्रिया की भी तिलांजलि दी गई।
सत्ताधारी पार्टी के मंत्री, सांसद, विधायक और कार्यकर्ता अग्निपथ स्कीम के फायदे गिनाते नहीं थक रहे लेकिन सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवा उनके तर्कों से इत्तेफाक नहीं रखते। स्कीम वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
बिहार के 17 जिलों में हो रहा है उग्र प्रदर्शन
विरोध का ये नजारा रांची का है लेकिन विरोध केवल झारखंड में नहीं हो रहा है बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवा अग्निपथ स्कीम का विरोध कर रहे हैं। बिहार में विरोध प्रदर्शन सबसे ज्यादा उग्र है। युवा सड़कों पर हैं। तोड़फोड़ कर रहे हैं। ट्रेनें रोकी गई हैं। रेलगाड़ियों में आगजनी की खबरें हैं। मध्य प्रदेश में तो एक युवक ने आत्मदाह कर लिया। बिहार के 17 जिलों में विरोध की आग भड़क गई है। शासन और प्रशासन युवाओं को समझाने का प्रयास कर रहा है लेकिन लगता है कि देर हो चुकी है। इधऱ, बिहार में युवाओं को जदयू और हम की भी सहानुभूति मिली है।
रक्षा विशेषज्ञों ने भी स्कीम पर उठाये सवाल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक युवाओं की आशंका को रक्षा विशेषज्ञों का भी साथ मिला है। डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना3 है कि अग्निपथ स्कीम भारतीय सेना के मूल ढांचे से खिलवाड़ है। इससे सैनिकों का अनुशासन और निष्ठा प्रभावित होगी। सरकर ने स्पष्ट नहीं किया है कि सेना में मौजूद रेजिमेंट प्रणाली का क्या होगा।
4 साल बाद हजारों ऐसे युवा बेरोजगार हो जाएंगे जिनके पास हथियार की ट्रेनिंग होगी। समाज में अव्यवस्था पनपेगी। देखना होगा कि सरकार का रुख क्या रहता है।