द फॉलोअप डेस्क, रांची:
शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार जातिगत आधारित जनगणना कराने के पक्ष में है। जहां तक ओबीसी और अन्य वर्गों का आरक्षण बढ़ाने की बात है, मामला राजभवन में है। उन्होंने कहा कि विधेयक इस आशा उम्मीद के साथ राजभवन में है कि राज्यपाल महोदय मुहर लगाएंगे। अब तक राज्यपाल ने किसी भी तरह से इस मामले में अवगत नहीं कराया है। सत्र के बाद हमलोग राज्यपाल से मिलकर आग्रह करेंगे कि आरक्षण से संबंधित विधेयक स्पष्ट हो। सीएम प्रदीप यादव के प्राइवेट बिल पर जवाब दे रहे थे। बिल के जरिये प्रदीप यादव ने पूछा था कि जातीय जनगणना कराकर पिछड़ों को आबादी के अनुरूप सरकारी संस्थानों में और शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन के लिए आरक्षण देने के लिए सरकार क्या कर रही है।
ग्रामीण विकास विभाग कराएगा जनगणना
सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि ग्रामीन विकास विभाग जातीय जनगणना करेगी। कराना है ये तो पहले से ही तय था। जहां तक आरक्षण की बात है हमलोग पहले ही सदन से पारित कर राज्यपाल को भेजे हैं.। इसके बाद प्रदीप यादव ने फिर बताया कि 1 साल 1 महीना 11 दिन से पिछड़ों को आरक्षण देने का मामला राजभवन में लंबित है। ऐसे में क्या सरकार नए तरीके से कोशिश करेगी।
11 नवंबर 2022 को विधानसभा से पास हुआ था बिल
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन सरकार ने 11 नवंबर को विधानसभा से ओबीसी आरक्षण बिल और 1932 आधारित स्थानीयता बिल को पारित कराकर राज्यपाल के पास भेजा था। तब, रमेश बैस राज्यपाल थे। उन्होंने दोनों ही बिल को मंजूरी नहीं दी। नए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देना असंवैधानिक कदम होगा। वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि हम आरक्षण देकर पिछड़ों, दलित, अल्पसंख्यक और आदिवासी-मूलवासी का हित सुरक्षित करना चाहते थे लेकिन बीजेपी और राजभवन इस पर अड़ंगा लगा रहा है।