रांची:
झारखंड विधनसभा का बजट सत्र 25 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। फॉलोअप ने आपकाे सुबह ही खबर दी थी। जिसमें बताया था कि सत्र के दौरान क्या-क्या होगा। विपक्ष ने सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। इधर, गुरुवार देर शाम कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर झामुमो. विधायक दल की बैठक हुई। जिसमें मुख्यमंत्री ने विधायकों से कहा है कि वे बजट सत्र के दौरान विपक्ष के सवालों का तर्कों के साथ जवाब दें। पिछले 2 वर्ष के कामकाज को ठीक तरह से सदन में रख सकें। भाजपा के पास झूठे आरोपोे के अलावा कुछ नहीं है।
कौन-कौन रहे बैठक में शामिल
मौके पर कैबिनेट मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर, चंपई सोरेन, जगरनाथ महतो, जोबा मांझी, हाफिजुल हसन अंसारी, विधायक लोबिन हेंब्रम, स्टीफन मरांडी, नलिन सोरेन, सुदिव्य कुमार सोनू, मथुरा प्रसाद महतो, समीर मोहंती, भूषण तिर्की, रामदास सोरेन, संजीव सरदार, सविता महतो, दीपक बिरूवा, निरल पूर्ति, सुखराम उरांव, दशरथ गागराई, विकास सिंह मुंडा, जिग्गा सुसरन होरो, दिनेश विलियम मरांडी, सरफराज अहमद, मंगल कालिंदी, एंग्लो इंडियन सदस्य जी.जे.गॉलस्टेन आदि विधायक उपस्थित थे।
सीएम ने सभी मंत्रियों एवं विधायकों से कहा
बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2 साल के कार्यकाल पूरा होने का उल्लेख करते हुए कहा कि इस दौरान उनके सामने बड़ी-बड़ी चुनौतियाँ थी। कोविड-19 संक्रमण की विपत्ति के साथ-साथ राज्य का खजाना भी खाली था, भाजपा की सरकार ने अपने कार्यकाल में कर्ज को ही आय का स्रोत मान लिया था और राज्यवासियों को दिग्भ्रमित करने का काम किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से जो अपेक्षित सहायता हमें मिलनी चाहिए थी, नही मिल रही है। जीएसटी एवं सीसीएल का बकाये के रूप में जो हिस्सा झारखंड को मिलना था वह भी नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार झारखंड के साथ दोहरा मापदंड अपना रही है। कई मामलों में केंद्र सरकार ने झारखंड को उपेक्षित करने का काम पिछले 2 वर्षों में किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 2 वर्षों में राज्य सरकार की जो भी उपलब्धियां है उन उपलब्धियों पर सभी मंत्री तथा विधायक ज्यादा फोकस करें। सदन में यह बताने का प्रयास करें कि राज्य सरकार संसाधनों और संभावनाओं का समन्वय बनाकर किस प्रकार राज्य को एक नई दिशा देने का कार्य कर रही है। राज्य में राशन कार्ड धारियों को पेट्रोल में प्रति लीटर ₹25 की सब्सिडी, स्वजन पेंशन योजना, रोजगार के विभिन्न आयामों पर कार्य, नियुक्तियों में रफ्तार सहित कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर भाजपा को करारा जवाब दिया जा सकता है।
सदन में कोई ऐसा मुद्दा को न छेड़े जिसमें विपक्षी दल को हावी होने का मौका मिले।