रांची:
खनन पट्टा लीज मामले में केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी नोटिस का जवाब मुख्यमंत्री को 10 मई तक देना है। यानी मुख्यमंत्री के पास 1 दिन का समय बचा है। ऐसे में सवाल है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन या उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का रुख क्या होगा, क्योंकि ऐसी चर्चा थी कि मुख्यमंत्री जवाब दाखिल करने के लिए चुनाव आयोग से समय की मांग कर सकते हैं। चर्चा थी कि मुख्यमंत्री हैदराबाद में इलाजरत अपनी मां रूपी सोरेन की तबीयत का हवाला देकर समय मांग सकते हैं।
मुख्यमंत्री को जारी हुआ था शोकॉज नोटिस
दरअसल, केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खनन पट्टा का लीज हासिल करने के मामले में शोकॉज नोटिस जारी किया है। पूछा है कि उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 9 (ए) के खिलाफ क्यों ना कार्रवाई की जाए। इसके लिए मुख्यमंत्री को 10 मई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया था। इधर, मामले में वरिष्ठ झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि खनन पट्टा का लीज जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 9 (ए) के तहत नहीं आता।
चूंकि, खनन पट्टा का लीज गुड्स एंड सर्विसेज व्यवसाय से भी नहीं जुड़ा है इसलिए इसमें ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला नहीं बनता। बीते दिनों द फॉलोअप से बातचीत में भी सुप्रियो भट्टाचार्य ने नोटिस के बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि अभी 2 दिन का समय है। हम इस पर विचार कर रहे हैं। समय आने दीजिए।
मुख्यमंत्री ने दिल्ली जाकर ली थी कानून सलाह
गौरतलब है कि मां के इलाज के सिलसिले में हैदराबाद प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली भी गए थे। वहां उन्होंने अपनी लीगल टीम सहित सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी से मुलाकात की थी। यहां केंद्रीय निर्वाचन आयोग की नोटिस को लेकर चर्चा हुई थी।
दिल्ली में मुख्यमंत्री की लीगल टीम भी कई विकल्पों पर विचार कर रही है। इसमें नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने से लेकर सीएम का इस्तीफा तक शामिल है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री खुद इस्तीफा देकर गुरुजी को सत्ता सौंप सकते हैं। संभावना है कि इससे सरकार पर भी खतरा नहीं आएगा और सीएम खुलकर कानूनी लड़ाई भी लड़ सकेंगे।
राज्यपाल रमेश बैस से बीजेपी ने की थी शिकायत
बता दें कि अनगड़ा में 0.88 एकड़ खनन पट्टा का लीज हासिल करने का आरोप लगाकर भारतीय जनता पार्टी ने राज्यपाल रमेश बैस के पास शिकायत की थी। राज्यपाल ने इसे चुनाव आयोग को हस्तांतरित कर दिय। चुनाव आयोग ने संज्ञान में लिया और मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी। झारखंड के मुख्य सचिव ने 26 अप्रैल को ही रिपोर्ट सौंप दी। बाद में केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन को कारण बताओ नोटिस जारी किया।