द फॉलोअप डेस्कः
सीएम हेमंत ने आज सरकार के चार साल पूरे होने व सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के समापन समारोह में कहा कि हम गरीबों को राशन दे रहे हैं। भारत सरकार से कहा कि सस्ते दाम में दिलवा दीजिए तो उन्होंने हाथ खड़ा कर दिया गया। तब हमलोग महंगे दर पर खुले बाजार से अनाज खरीद रहे हैं। यहां भेदभाव होता है। सौतेला व्यावहार होता है। डीलरों की कई मांग है। डीलर कमीशन को बढ़ाया जाएगा। महिला स्शक्तिकरण पर जोर दिया जाएगा। विपक्ष ने 20 साल में मात्र 6 हजार करोड़ बांटा है महिलाओं के बीच। हमारी सरकार में 4 साल में ही 8 हजार करोड़ हमने बांटा है। पहले सरप्लस बजट आता था। आज बजट घाटे का आता है। कहां गया खजाना। जब जानने की कोशिश की तो पता चला कि इन लोगों ने सिर्फि अपना जेब भरा है।
हम देंगे तीन कमरों का सुसज्जित मकान
आवास के लिए हम और मंत्री सरकार से आवास मांगने गई तो केंद्र ने साफ मना कर दिया। लेकिन हमें पता था कि यहां के गरीबों के पास घर नहीं है। हम उनको अपने बलबूते घर देंगे। अब आपको हमारी सरकार जो कहती है वह करती है। हम तीन कमरो का आवास देंगे। चाहे एक साल लगे,दो साल लगे या तीन साल। संसाधन जुटाने में हम लगे है।
हमने बच्चियों के लिए सावित्री बाई फूले योजना लाया। घर में जितनी बच्चियां होंगी सबको इस योजना का लाभ मिलेगा। 10वीं के बाद बच्चों को गुरुजी क्रेडिट कार्ड मिलेगा।
बिजली के मामले में होंगे आत्मनिर्भर
दुर्भाग्य है कि हमारी जमीन, हमारी बिजली हमारा कोयोला लेकिन हमको बिजली नहीं मिलगा। जब राष्ट्रपति आती है तो डीवीसी बिजली काट देता है। इसलिए हमलोग खुद से अपनी व्यवस्था कर रहे हैं। मैं जहां तक समझता हूं। हमलोग डीवीसी के चंगुल से निकलेंगे। और 24 घंटे बिजली देंगे। जहां बिजली नहीं पहुंचा है वहां हम सोलर युक्त बिजली दे रहे हैं।
युवाओं, महिलाओं के लिए योजना है। अगर आपको पूंजी की आवश्यकता है तो आप आवेदन दें आपको सरकार पूंजी देगी। जो भी यहां उद्धोग लगेगा उसके लिए हमने कानून बनाया है कि उसमें 75 प्रतिशत स्थानीयों का आरक्षण है। 45 हजार सरकारी वेकैंसी निकल चुकी है।
स्थानीय नीति नहीं बनने देता है विपक्ष
हम जब स्थानीय नीति की बात करते हैं तो कोर्ट कचहरी करके हमारे काम में बाधा डालते हैं। राजभवन में जाकर कानाफूसी करते हैं। मैं जानना चाहता हूं कि अलग-अलग राज्यों में इस तरह के कानून हैं। वहां किसी को कोई दिक्कत नहीं है तो यहां क्या दिक्कत है। विपक्ष क्यों लागू नहीं होने देता है यह कानून। आज हर क्षेत्र में हम प्रयासरत हैं। अभी लंबी दूरी तय करना है। ये राज्य पीठ दिखाने वाला नहीं है। हम शुरू से संघर्षशील हैं। गांव गांव पंचायत पंचायत हम जा रहे हैं। हर बार आपके गांव में ये सरकार शिविर लगाएगी।
सीेएम ने गिनाया 20 साल का लेखा-जोखा
कोयला कंपनियों का केंद्र के पास बकाया है। मांगने पर मना करते हैं। लेकिन जब दवाब बनाया जाता है तो धीरे से माथा हिलाते हैं। इन लोगों ने 20 साल में मात्र 8 लाख को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा था। हमने मात्र चार सालों में 20 लाख किसानों को क्रेडिट कार्ड से जोड़ा। इनका 20 साल का लेखा जोखा ऐसा रहा। गांव देहात में रहकर हम उनके लिए कई योजना लाए हैं ताकि किसान खेती बाड़ी से जुड़ा रहे। पहले की सरकार बीमारू जानवर बांटते थे जो 2 महीने में मर जाता था। तब किसान दोबारा पालने का कोशिश नहीं करता था। लेकिन हम अब बीमाकृत जानवार देंगे। गलती से वह मर गया तो हम आपको पूरा पैसा देंगे। पशुधन पर हम इसलिए जोर देते हैं।