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Ranchi : सीएम हेमंत ने राज्यपाल से मांगी चुनाव आयोग के चिट्ठी की प्रति, बोले- खत्म हो भ्रम की स्थिति

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डेस्क: 

मुख्यमंत्री हेमतं सोरेन ने गुरुवार को राजभवन जाकर राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की। मुख्यमंत्री की यूं राज्यपाल से आकस्मिक मुलाकात को लेकर तरह-तरह की चर्चा थी। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि संभवत मुख्यमंत्री ने हाल ही में लिए गए अपने फैसलों और राज्य के ताजा सियासी हालात से अवगत कराने के लिए राज्यपाल से मुलाकात की है। हालांकि, कुछ ही देर बाद स्पष्ट हो गया है कि मुख्यमंत्री की राज्यपाल से ये मुलाकात किस संदर्भ में हुई है। दरअसल, मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग द्वारा खनन पट्टा लीज के संबंध में राजभवन को भेजे गए सीलबंद लिफाफे के सिलसिले में मुलाकात की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल से उस चिट्ठी की एक प्रति उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
मुख्यमंत्री ने सीलबंद लिफाफे की प्रति मांगने के लिए राज्यपाल को बकायदा ज्ञापन सौंपा है। मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में लिखा है कि मुझे झारखंड राज्य में विगत 3 सप्ताह से अधिक समय से उत्पन्न असामान्य, अनापेक्षित और दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों की वजह से इस ज्ञापन के साथ राज्यपाल के सामने उपस्थित होने के लिए बाध्य होना पड़ा है। ज्ञापन में मुख्यमंत्री के हवाले से लिखा गया है कि फरवरी 2022 से ही बीजेपी द्वार ये भूमिका रची जा रही है कि मेरे द्वारा खनन पट्टा लिए जाने के आधार पर मुझे विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया जाएगा।

 

मुख्यमंत्री ने ज्ञापन में बीजेपी पर भी साधा निशाना
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस विषय को लेकर राज्यपाल के सामने एक शिकायत भी दर्ज कराई थी। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि यद्यपि संबंधित विषय को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने करतार सिंह भडाणा बनाम हरीसिंह नालवा (2002)4 सेक्शन-661 एवं सीवीके राव बनाम दंतू भास्करा राव (1965) सेक्शन-93 के तहत आधिकारिक एवं बाध्यकारी न्याय निर्णयों द्वारा आच्छादित किया गया है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि खनन पट्टा का लीज लिए जाने से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के प्रावधान के अंतर्गत अयोग्यता उत्पन्न नहीं होती। बावजूद इसके मंतव्य गठन हेतु संविधान के अनुच्छेद-192 के अंतर्गत राज्यपाल के रेफरेंस के अनुसरण में केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा सुनवाई आयोजित की गई। मुख्यमंत्री ने इस ज्ञापन में चुनाव आयोग की कार्रवाई का जिक्र किया है। 

मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग की मंशा पर उठाए सवाल
मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल रमेश बैस को सौंपे गए ज्ञापन में आगे लिखा है कि यद्यपि भारतीय संविधान के प्रावधानों के मुताबिक निर्वाचन आयोग को अपना मंतव्य राज्यपाल के सामने प्रस्तुत करना है और राज्यपाल द्वारा इसके बाद मुख्यमंत्री को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान कर यथोचित कार्रवाई करनी है तथापि बीजेपी के बयानों से ऐसा लगता है कि निर्वाचन आयोग ने अपना मंतव्य बीजेपी को सौंप दिया है। राजभवन के कथित स्त्रोतों और बीजेपी नेताओं के बयानों के हवाले से 25 अगस्त से ही प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में व्यापक रूप से खबर चलाई जा रही है कि केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा ये अभिमत दिया गया है कि अधोहस्ताक्षरी (मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन) पंचम की झारखंड विधानसभा की सदस्यता खत्म कर दी गई है। 

1 सितंबर को राज्यपाल ने यूपीए को दिया था भरोसा
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि इस विषय को लेकर यूपीए का एक प्रतिनिधिमंडल 1 सितंबर 2022 को राज्यपाल से मिला था और मांग की थी कि राज्यपाल केंद्रीय निर्वाचन आयोग का मंतव्य सार्वजनिक करें। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को बताया था कि केंद्रीय निर्वाचन आयोग का मंतव्य मिला है। इस बारे में जरूरी विधि-सम्मत कार्रवाई करते हुए दो से तीन दिनों के अंदर जानकारी दी जायेगी। सीएम ने लिखा है कि केंद्रीय निर्वाचन आयोग के मंतव्य के विषय में मीडिया में बीजेपी द्वारा किए जा रहे प्रचार और राजभवन कार्यालय से इस मंतव्य के संबंध में कथित सूचना के छनकर आने से सरकार, कार्यपालिका एवं जनमानस में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।


ये राज्य और जनहित में नहीं है। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि भ्रम की इस स्थिति का उपयोग करके बीजेपी दल-बदल के अस्त्र के रूप में इस्तेमाल कर अनैतिक रूप से सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही है। हालांकि, बीजेपी इसमें सफल नहीं होगी। 

मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से चुनाव आयोग की चिट्ठी मांगी
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि राज्य गठन के बाद पहली बार हमारी सरकार को लगभग 2 तिहाई सदस्यों का समर्थन हासिल है। 5 सितंबर 2022 को सरकार ने विधानसभा पटल में अपार बहुमत साबित किया है। विधायकों ने अधोहस्ताक्षरी (मुख्यमंत्री) के नेतृत्व में पूर्ण निष्ठा और विश्वास व्यक्त किया है। आगे राज्यपाल को संबोधित करते हुए लिखा है कि राज्य का संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राज्यपाल से संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा की महत्ति भूमिका की अपेक्षा की जाती है। लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के मुखिया के रूप में अधोहस्ताक्षरी (सीएम) संविधान एवं कानून का अनुपालन के लिए कृतसंकल्पित है।

अपील है कि निर्वाचन आयोग से प्राप्त मंतव्य की एक प्रति उपलब्ध कराई जाए। यथाशीग्र युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाए ताकि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घातक अनिश्चितता का वातावरण शीघ्र दूर हो सके। झारखंड राज्य उन्नति, प्रगति और विकास मार्ग पर आगे बढ़ता रहे।