द फॉलोअप डेस्क
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा ने जेलों में कैदियों की संख्या पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि जेलों में क्षमता से तीन गुणा ज्यादा कैदी रह रहे है, जिसे घटाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि जेल में कई ऐसे लोग रह रहे है जिसका दोषी करार नहीं दिया गया है, वहीं पहले से दोषी करार कैदी भी वहां सजा काट रहे हैं। दोनों को एक परिस्थिति में रखना सही नहीं है। इसपर घ्यान देने की जरूरत है।
केस की परिस्थिति और साक्ष्य पर गौर करते हुए ले फैसला
संजय मिश्रा ने आगे कहा कि न्याय सुलभ औऱ सहज होना चाहिए। यह तभी संभव है जब गंभीर मामले से अलावा अन्य मामलों में जेल भेजने से पहले एक बार चर्चा कर ली जाए। अदालतों को रिमांड पर भेजने से पहले केस की परिस्थिति और साक्ष्य पर गौर करते हुए कोई फैसला लेना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायिक पदाधिकारियों का समय-समय पर जेल का निरीक्षण करना जरूरी है। ताकि वहां की परिस्थियों को जान सकें।
रिमांड और जमानत जैसे कानूनी पहलूओं पर हुई चर्चा
बता दें कि ऊपर लिखी गई बाते चीफ जस्टिस ने रविवार को ज्यूडिशियल अकादमी,झारखंड एवं पूर्व सिंहभूम जजशिप की ओर से आयोजित रिमांड और जमानत न्यायशास्त्रत्त् पर क्षेत्रीय सम्मेलन में कही थी। जहां वो बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। दिनभर चले इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से रिमांड और जमानत को लेकर विभिन्न तरह के कानूनी पहलूओं पर चर्चा हुई।
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