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मणिपुर हिंसा मामले में चंपई सोरेन ने जताई चिंता, PM को राजधर्म पालन करने की दी सलाह

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द फॉलोअप डेस्कः 
मणिपुर में हिंसा भड़क गई है। आदिवासी आंदोलन के दौरान हिंसा को लेकर मणिपुर के आठ जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया। पूरे पूर्वोत्तर राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बाधित हैं। कुछ आदिवासियों के घरों को भी ध्वस्त कर दिया गया है। इसका सबसे ज्यादा असर चुराचांदपुर में देखने को मिल रहा है। इसे लेकर झारखंड के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री चंपई सोरेन ने दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि मणिपुर से आ रही तस्वीरें चिंतनीय हैं। इस पहाड़ी राज्य में सैकड़ों- हजारों वर्षों से बसे आदिवासियों के घरों को तोड़ा जा रहा है, गाँवों को उजाड़ा जा रहा है। आखिर उनका अपराध क्या है? वहां के मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के विरोध में आदिवासियों द्वारा कल एक बड़ी रैली हुई थी, जिसके बाद उनके घरों को जलाया जा रहा है और उनके साथ हिंसा की जा रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि मणिपुर में आपकी पार्टी की सरकार है। कृपया "राज धर्म" का पालन कीजिए। उन्होंने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। दरअसल ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर’ (एटीएसयूएम) ने बताया है कि मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है, जिसके खिलाफ आदिवासी संगठन ने मार्च बुलाया। रैली में हजारों आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया और इस दौरान तोरबंग इलाके में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा की खबरें आईं। प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

 


स्थिति सामान्य करने की कोशिश 
हालांकि गुरुवार सुबह तक हिंसा पर काबू पा लिया गया। अलग-अलग जगह पर लगभग 4000 ग्रामीणों को सेना और असम रायफ़ल्स की सीओबी और राज्य सरकार के परिसरों में आश्रय दिया गया है। वहीं धरने को नियंत्रण में रखने के लिए फ्लैग मार्च किया जा रहा है। ग्रामीणों को हिंसा वाले जगहों से दूर सुरक्षित स्थानों पर भेजने का काम जारी है। बता दें कि राज्य के 53 प्रतिशत आबादी वाले मेइती मणिपुर घाटी में रहते हैं, जो राज्य के भूमि क्षेत्र का लगभग दसवां हिस्सा है और दावा करते हैं कि वे म्यांमार और बांग्लादेशियों की ओर से बड़े पैमाने पर अवैध घुसपैठ के कारण कठिनाई का सामना कर रहे हैं। दूसरी ओर, पहाड़ी जिले जो राज्य के अधिकांश भू-भाग में फैले हुए हैं वहां ज्यादातर आदिवासी निवास करते हैं जिनमें नगा और कुकी जनजातियां भी शामिल हैं। 


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