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सरना धर्म कोड का राग अलापनेवाली कांग्रेस और झामुमो को पेसा पर घेरेगी भाजपा

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द फॉलोअप डेस्क

चंपाई सोरेन और मधु कोड़ा के साथ बाबूलाल मरांडी की गुफ्तगु में बनी रणनीति

आदिवासी वोट बैंक को पार्टी के पक्ष में एकजुट करने के लिए भाजपा पेसा को मुद्दा बनाएगी। सरना धर्म कोड का राग अलापनेवाली कांग्रेस और झामुमो को पैसा पर घेरेगी। पिछले दिनों प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सह प्रतिपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी की पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और चंपाई सोरेन के बीच हुई लंबी बातचीत में इस पर सहमति बनी है। रणनीतिक विचार-विमर्श हुआ। इसमें ग्रामीण इलाकों में खास कर शिड्युल एरिया में आदिवासी, मुसलिम और ईसाई वोट बैंक के गठजोड़ में दरार पैदा करने की रणनीति है। बाबूलाल मरांडी उपरोक्त दोनों ही नेताओं से इसी कारण सरना धर्म कोड, पेसा और टीएसी पर लंबी बातचीत की। इसके अलावा उन्होंने कोल्हान इलाके के इन दोनों ही नेताओं से संगठन की मजबूती को लेकर सलाह मशविरा किया। मालूम हो कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा कोल्हान से पूरी तरह साफ हो गयी है। चंपाई सोरेन और रघुवर दास की बहु पूर्णिमा दास साहु को छोड़ पार्टी का कोई भी प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल नहीं हो सका।


भाजपा का मानना है कि पेसा में परंपरागत स्वशासन व्यवस्था लागू करने का प्रावधान किया गया है। परंपरागत स्वशासन व्यवस्था आदिवासियों के संरक्षण की बात करता है। इसमें आदिवासियों के परंपरागत स्वशासन व्यवस्था, उनके रीति रिवाज, धार्मिक संरक्षण व अन्य सांस्कृतिक विषयों को संरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। भाजपा का मानना है कि पेसा उन आदिवासियों, मूलवासियों के लिए है, जो हजारों साल से झारखंड या शिड्युल एरिया में रह रहे हैं। ईसाई और मुसलिम तो बहुत बाद में आए। जबकि ग्रामीण इलाकों में पेसा के तहत यही दोनों समुदाय प्रभावी होना चाहता है। आदिवासियों के हक को मारना चाहता है। इससे उत्पन्न होनेवाले विवाद को देखते हुए ही सरकार पेसा नियमावली को लागू करने के मुद्दे को लगातार लटकाए जा रही है। वह झारखंड में पेसा लागू करने के मुद्दे गंभीर नहीं है। आदिवासी हित की इस मु्द्दे को उठा कर भाजपा झामुमो और कांग्रेस को घेरना चाहती है।


कोल्हान में संगठन को लेकर चर्चा
जानकारी के अनुसार पेसा, सरना धर्म कोड व टीएसी के अलावा बाबूलाल मरांडी ने चंपाई सोरेन और मधु कोड़ा के साथ कोल्हान में पार्टी संगठन की मजबूती को लेकर भी विचार विमर्श किया गया। चर्चा के क्रम में यह बात भी सामने आयी कि इस माह के अंत और जून के प्रथम सप्ताह तक प्रदेश अध्यक्ष का मनोनयन हो जाएगा। कोल्हान में किस तरह के मुद्दे उठाए जाएं और किसे किस तरह की जिम्मेदारी मिले, जो पार्टी हित में बेहतर होगा, इस पर भी अनौपचारिक चर्चा की गयी। मालूम हो कि कोल्हान से भाजपा के चार बड़े नेता हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, अर्जुन मुंडा, चंपाई सोरेन के अलावा चाईबासा के इलाके में मधु कोड़ा की भी अपनी अलग पकड़ है।


पेसा लागू हो, आदिवासियों की परंपरागत व्यवस्था अक्षुण्ण रहेः मधु कोड़ा
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कहा कि सरना धर्म कोड और पेसा को लेकर झामुमो तथा कांग्रेस जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा करना चाहती है। पेसा राज्य में हजारों साल से रह रहे आदिवासियों, मूलवासियों के परंपरागत व्यवस्था, रीति-रिवाज और उनके धार्मिक तथा सांस्कृति संरक्षण के लिए बनाया गया अधिनियम है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में ईसाई और मुसलिम गठजोड़ आदिवासियों की हितों पर चोट करना चाहता है। उन्होंने सवाल किया कि राज्य सरकार पिछले छह-सात साल से इसे क्यों नहीं लागू कर रही है। 1996 में पेसा अधिनियम संसद से पारित हुआ। केंद्र में भाजपा की सरकार 2014 में आयी। बीच की अवधि में कांग्रेस ने इसे क्यों नहीं लागू कराया।

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