रांची
भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा झारखंड प्रदेश के द्वारा महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री भारत सरकार कौशल किशोर ने कहा रत्नाकर की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने दर्शन दिए। रत्नाकर के शरीर पर दीमकों का पहाड़ बन गया। इसलिए उन्होंने रत्नाकर को वाल्मीकि का नाम दिया, क्योंकि दीपकों के घर को वाल्मीक कहा जाता है। साथ ही ब्रह्माजी ने रत्नाकर को रामायण की रचना करने के लिए प्रेरणा भी दी। इसके बाद से रत्नाकर को वाल्मीकि के नाम से जाना जाता है। इस तरह राम का नाम जपते हुए डाकू रत्नाकर महर्षि वाल्मीकि बन गए।
क्षेत्रीय संगठन मंत्री नागेंद्र त्रिपाठी ने कहा महर्षि वाल्मीकि के जन्मदिन के मौके पर वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है। वाल्मीकि जी भगवान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते थे और इन्होंने ही पूरी रामायण लिखी थी। यूं तो इस तिथि को सभी लोग धूमधाम के साथ मनाते हैं लेकिन खासतौर पर वाल्मीकि समुदाय के लोगों के लिए यह तिथि विशेष मानी जाती है। इस दिन ऋषि वाल्मीकि की पूजा की जाती है। उनके मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है साथ ही रामायण की चौपाई पढ़ी जाती है।
संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह ने कहा महर्षि वाल्मीकि भारत के दर्शन और इतिहास में एक बहुत ही चर्चित नाम हैं। जिन्होंने रामायण जैसा महाकाव्य लिखा, जिन्होंने सीता मां को वनवास के समय शरण दी और राम के दो पुत्रों लव-कुश को शिक्षा दी। उनका एक ऋषि रूप में चरित्र सुनकर शायद ही किसी को इस बात का यकीन हो सकता है कि ऐसा इंसान कभी एक लुटेरा और डाकू रहा होगा। प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने कहा पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान श्रीराम ने माता सीता का परित्याग किया, तो वह महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में कई वर्षों तक रही थीं। यही पर माता सीता ने लव व कुश को जन्म दिया था। महर्षि वाल्मीकि के जन्म को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है लेकिन कहा जाता है कि इनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षिणी के यहां हुआ था।
इस मौके पर बीजेपी की प्रदेश मंत्री सीमा पासवान, अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश पासवान,प्रदेश कार्यालय मंत्री जोगेंद्र लाल, प्रदेश मंत्री राजीव राज लाल, प्रदेश प्रवक्ता राकेश राम, रामगढ प्रभारी धर्मेंद्र कुमार राम एवं अन्य उपस्थित हुए।