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Budget Session 2022 : सरकार द्वारा प्रायोजित है झारखंड में भाषा विवाद, मंत्रियों को देना चाहिए इस्तीफा: बिरंची नारायण

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रांची: 

झारखंड विधानसभा का बजट सत्र जारी है। भोजनावकाश के बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हुई। इस दौरान सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने कहा कि राज्य में भाषा विवाद दरअसल सरकार द्वारा प्रायोजित है। बिरंची नारायण ने कहा कि झारखंड में भाषा का विवाद सिर चढ़कर बोल रहा है। मामले में सरकार के मंत्रियों के बयान में ही विरोधाभाष है। 

सरकार के मंत्रियों में मतैक्य नहीं
बिरंची नारायण ने कहा कि जिस मसले पर सरकार के मंत्रियों में मतैक्य नहीं है उनको इस्तीफा देना चाहिये। बिरंची नारायण ने कहा कि इस सरकार को केवल उर्दू से मतलब है। मुख्य सचेतक ने कहा कि मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि सदन में बैठे 81 सदस्यों में से किसी को भी उर्दू नहीं आती होगी। केवल सरकार तुष्टिकरण कर रही है। 

राज्य में भय का वातावरण बना है
सत्र में संबोधन के दौरान बिरंची नारायण ने कहा कि राज्य में चहुंओर भय का वातावरण व्याप्त है। बीते 2 वर्षों से राज्य की पुलिस अपराधों का ब्योरा नहीं दे सकी है। पुलिस आपराधिक वारदात तथा इसके रिकॉर्ड्स को ढंकने का प्रयास करती है। ये सब कुछ सरकार के इशारे पर हो रहा है। बिरंची नारायण ने कहा कि हेमंत सरकार में पुलिस, वकील, न्यायाधीश, चिकित्सक, पत्रकार या राजनीतिक कार्यकर्ता हो, कोई भी सुरक्षित नहीं है। सत्ता में बैठे लोग ही पुलिस को मनोबल गिराते हैं। 

नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया जा रहा
बिरंची नारायण ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने बाबूलाल मरांडी के बीजेपी विधायक के रूप में मान्यता दी है। सरकार गठन को 2 वर्ष बीत चुके हैं। चुनाव परिणाम आये ढाई वर्ष का समय बीत गया लेकिन अभी तक बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया गया। बिरंची नारायण ने कहा कि प्रदीप यादव को बताना चाहिए कि वो झाविमो में हैं या कांग्रेस में।