द फॉलोअप डेस्क, रांची:
सहायक पुलिसकर्मियों का वेतन वृद्धि और स्थायीकरण सहित 8 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन जारी है। विपक्ष का भी इस आंदोलन को समर्थन हासिल है। वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहते हैं कि आंदोलन से समाधान नहीं निकलेगा बल्कि वार्ता से समस्या का समाधान होगा। इस बीच सोमवार को आंदोलनकारी सहायक पुलिसकर्मियों ने मुख्यमंत्री के आवास का घेराव करने का प्रयास किया। कई वीडियो सामने आये है जहां सहायक पुलिसकर्मी, मीडिया के सामने सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त करते नजर आये। इस बीच प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पिछले 4.5 साल से सहायक पुलिसकर्मियों को तरसाया जा रहा है। उनको पक्की नौकरी, 2 वक्त की रोटी और अधिकारों के लिए झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सरकार तरसा रही है।
बाबूलाल मरांडी का दिखा शायराना अंदाज
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पुलिसकर्मियों को सड़कों पर खड़ा करके चैन की नींद में सोने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को देखना चाहिए कि जनता उनके दरवाजे पर अपना हक और अधिकार मांगने नहीं बल्कि, छीनने के लिए आ खड़ी हुई है। बाबूलाल मरांडी ने शायराना अंदाज में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधा है। बाबूलाल मरांडी ने ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट (एक्स) पर लिखा कि "आवाज हो तो बोलिए कि आप जिंदा हैं, कान हो तो सुनिए कि आप जिंदा हैं, आंख हो तो देखिए कि आप जिंदा हैं, पर किसके लिए? सिर्फ सत्ता और परिवार के लिए। बाबूलाल मरांडी ने साथ ही में एक सहायक पुलिसकर्मी का वीडियो भी शेयर किया है।
सहायक पुलिसकर्मियों ने जताई नाराजगी
इस वीडियो में सहायक पुलिसकर्मी कहता है कि यदि सरकार गंभीर है तो वार्ता करे। अभी तक हमें वार्ता के लिए नहीं बुलाया। वार्ता करने के लिए सरकार तैयार नहीं है और कहती है कि हम संवेदनशील हैं। मुख्यमंत्री कहते हैं कि मैं सब जानता हूं। हमारे पास कान और आंख हैं लेकिन वह सुनते या देखते नहीं हैं। खुद जेल से आते ही 2 दिन में दोबारा गद्दी में बैठ गये। हम 7 साल से संघर्ष कर रहे हैं। बता दें कि पूर्ववर्ती रघुबर दास सरकार के कार्यकाल में सहायक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति हुई थी। तब उनको वेतनमान के रूप में 10,000 रुपये मिलते थे। सहायक पुलिसकर्मी अब वेतन-वृद्धि और स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं।