साहिबगंज:
साहिबगंज के रेलवे जनरल इंस्टीट्यूट मैदान में सोमवार को झारखंड सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के जिला कमिटी की बैठक आयोजित की गई। बैठक में मोर्चा के राज्य कमिटी सदस्य विकास कुमार चौधरी ने बताया कि 27 नवंबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में राज्य कमिटी की बैठक बुलाई गई है। इससे पहले 5 नंवबर को आयोजित बैठक में सरकार को लिखित ज्ञापन सौंपकर यह मांग की गई थी कि 15 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के मौके पर सहायक अध्यापकों को वेतनमान देने का ऐलान करें। तब सरकार को पंचायत से लेकर राज्य स्तर पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई थी।
15 नवंबर को वेतनमान के ऐलान की थी उम्मीद
15 नवंबर को मुख्यमंत्री द्वारा ऐसा कोई ऐला नहीं किया गया। अब सहायक अध्यापकों ने 29 दिसंबर को हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल के 4 वर्ष पूरे होने के मौके पर राजधानी रांची में इकट्ठा होकर उग्र आंदोलन का फैसला किया है। 29 दिसंबर से घेरा डालो-डेरा डालो कार्यक्रम के तहत अनिश्चितकालीन आंदोलन करने का फैसला किया गया है। कमिटी ने राज्य सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अल्पसंख्यक स्कूलों में बिना टेट या अन्य अहर्ता पास शिक्षकों को 9300 से 34800 रुपये का वेतनमान दिया जा रहा है जबकि झारखंड में 20 वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है। कानूनी अड़चनें गिनाई जा रही है।
बिहार का उदाहरण देकर वादाखिलाफी का आरोप
सहायक अध्यापकों ने कहा कि बिहार में सीमित संसाधन में ही नियोजित शिक्षकों को पिछले कई साल से वेतनमान दिया जा रहा है। उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा देने की बात भी कही जा रही है। वहीं, झारखंड में शिक्षक अल्प मानदेय पर काम करते हैं। सहायक अध्यापकों ने कहा कि नियमावली में उल्लेख किए जाने के बाद भी सहायक अध्यापकों के आश्रितों को नौकरी, मुआवजा नहीं मिल रहा। शहरी इलाकों में 4 फीसदी वार्षिक वृद्धि का लाभ भी सहायक अध्यापकों को नहीं मिला। सहायक अध्यापकों ने यह भी आरोप लगाया कि सामान्य भविष्य निधि लागू नहीं की गई।
आकलन परीक्षा का परिणाम जारी नहीं करने का आरोप
सहायक अध्यापकों ने आकलन परीक्षा का परिणाम जारी नहीं करने का भी आरोप लगाया। अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सहायक अध्यापकों ने वरीय शिक्षा पदाधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया। कहा कि यदि कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ तो घेराव करेंगे।