रांची:
मांडर उपचुनाव दिलचस्प हो गया है। पहले जहां आमने-सामने के मुकाबले में कांग्रेस और बीजेपी के बीच टकराव दिख रहा था, उसमें अब तीसरे मोर्चे की भी एंट्री हो गई है। दरअसल, मांडर उपचुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याथी उतरे देवकुमार धान को एआईएमआईएम का समर्थन मिल गया है। चौंकाने वाला फैसला लेते हुए मांडर उपचुनाव में बतौर एआईएमआईएम प्रत्याशी उतरे शिशिर लकड़ा ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। कहा कि शीर्ष आलाकमान का निर्देश था।
देवकुमार धान औऱ शिशिर लकड़ा की प्रेस वार्ता
गुरुवार को देवकुमार धान और शिशिर लकड़ा ने रांची प्रेस क्लब में संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया। यहां नामांकन वापस लेने वाले शिशिर लकड़ा ने कहा है कि मैंने शीर्ष आलाकमान के निर्देश पर पीछे हटने का फैसला किया है। मैं उपचुनाव में देवकुमार धान का पूरा समर्थन करूंगा। उन्होंने कहा कि शीर्ष नेतृत्व की तरफ से नामांकन वापस लेने का कोई दवाब नहीं था बल्कि संगठन की भलाई और जीत की संभावना को लेकर मैंने ही सुझाव दिया था कि देवकुमार धान को समर्थन दिया जाये।
उन्होंने कहा कि देवकुमार धान के आने से हमें ना मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ आदिवासियों का भी समर्थन और साथ मिलेगा। देवकुमार धान आदिवासियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
शिशिर लकड़ा ने नाराजगी की बात से किया इंकार
गौरतलब है कि शिशिर लकड़ा ने साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बतौर एआईएमआईएम प्रत्याशी चुनाव लड़ा था। 23 हजार से ज्यादा मत लाकर वो तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार भी पहले पार्टी ने शिशिर को ही अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन गुरुवार को चौंकाने वाला फैसला लेते हुए उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। उन्होंने इस फैसले को लेकर किसी भी प्रकार की नाराजगी से इंकार किया है। कहा कि फैसले को कार्यकर्ताओं का भी पूरा समर्थन हासिल है।
देवकुमार धान ने बीजेपी पर लगाया गंभीर आरोप
वहीं, मांडर उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से टिकट नहीं मिलने के बाद बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे देवकुमार धान ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने मुझे दूध में गिरी मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया। बीजेपी की विचारधारा सांप्रदायिकता को पोषित करने वाली है।
वैसे भी आदिवासियों को हिंदू कहने वाले लोगों से मेरा कोई नाता नहीं है। ओवैसी के समर्थन से चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारा मकसद झारखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पेयजल जैसी सुविधाओं की ओर सरकार का ध्यान दिलाना है। मैं यदि सदन में पहुंचा तो जनमुद्दों को उठाऊंगा।