द फॉलोअप डेस्क
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वेटरनरी कॉलेज स्थित पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू (एच5एन1) के फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), झारखंड के मिशन निदेशक अबु इमरान ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों को अलर्ट जारी कर जरूरी एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं।
रैपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन
बर्ड फ्लू के खतरे को देखते हुए सभी जिलों में रैपिड रिस्पॉन्स टीम बनाई गई है। इस टीम को निर्देश दिया गया है कि यदि इंसानों में संक्रमण की पुष्टि होती है, तो हाई-रिस्क ग्रुप को दवाइयां और जरूरी इलाज मुहैया कराए। विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमित पक्षियों, मुर्गियों या गिनी फाउल के संपर्क में आने से यह बीमारी इंसानों में फैल सकती है।
सावधानी और निगरानी के निर्देश
10 किमी के दायरे में विशेष निगरानी- प्रभावित क्षेत्र के आसपास 10 किमी तक पक्षियों और इंसानों की सतत निगरानी की जाएगी।
संक्रमित मरीजों को अलग रखने के निर्देश- हाई-रिस्क मरीजों को 10 दिन के लिए अलग-थलग रखने और उनकी निगरानी करने को कहा गया है।
सैंपल जांच- यदि किसी में बर्ड फ्लू के लक्षण दिखते हैं, तो उनके क्लिनिकल सैंपल लेकर जांच की जाएगी।
अब तक 150 मुर्गियों और 12 बटेर की मौत
पोल्ट्री फार्म में 150 मुर्गियां और 12 बटेर की मौत हो चुकी है। जब पक्षियों की अचानक मौत हुई, तो उनके सैंपल जांच के लिए भोपाल स्थित आईसीएआर-एनआईएसएचएडी लैब भेजे गए, जहां एच5एन1 संक्रमण की पुष्टि हुई। अगर इंसानों में भी बर्ड फ्लू के लक्षण पाए जाते हैं, तो उनके क्लिनिकल सैंपल की जांच रिम्स, रांची के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में की जाएगी। संक्रमित लोगों को घर में ही क्वारंटीन किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारंटीन के दिशा-निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अनुसार तय किए जाएंगे।
स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए जरूरी निर्देश
पर्याप्त दवाओं का स्टॉक- सभी जिलों को एंटीवायरल दवाएं (टैमीफ्लू), पीपीई किट, मास्क और वीटीएम किट तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं।
डेडिकेटेड आइसोलेशन वार्ड- बर्ड फ्लू के संभावित मरीजों के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड और बेड की व्यवस्था करने को कहा गया है।
बर्ड फ्लू के लक्षण
बुखार और सिरदर्द
गले में खराश और सूजन
लगातार खांसी और नाक बहना
मांसपेशियों में दर्द
सांस लेने में दिक्कत
आंखों में इंफेक्शन
उल्टी और पेट दर्द
सावधानियां और बचाव के तरीके
मरे हुए पक्षियों से दूर रहें।
मुंह और नाक को मास्क से ढकें।
हाथ धोते रहें और सफाई का ध्यान रखें।
लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बीमार या मृत पक्षी की सूचना तुरंत पशुपालन या स्वास्थ्य विभाग को दें।