द फॉलोअप डेस्क
झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी के बाद ग्रामीण विकास विभाग में हड़कंप मच गया है। दरअसल मंत्री आलमगीर की गिरफ्तारी के बाद अब कई अधिकारी ईडी की रडार पर आ गए हैं। ईडी में अपने जांच के बाद दावा किया है कि ग्रामीण विकास विभाग में कमीशनखोरी का धंधा चल रहा था। ग्रामीण विकास विभाग के निचले स्तर से लेकर विभागीय सचिवों की भूमिका इस मामले में संदेह के घेरे में हैं। पूछताछ के दौरान ईडी के हाथ कई साक्ष्य लगे है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ईडी जल्द ही कुछ अधिकारियों को समन जारी कर सकती है।
कमीशन का 1.5 प्रतिशत आलमगीर आलम को जाता था
ईडी ने अपने जांच रिपोर्ट में कहा है कि 22 फरवरी 2023 को गिरफ्तार हुए चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम ने पहली बार मंत्री आलमगीर आलम तक कमीशन की राशि पहुंचाई थी। इस बात का खुलासा खुद वीरेंद्र राम ने किया है। वीरेंद्र राम ने बताया था कि मंत्री और विभाग के बड़े अधिकारियों को कमीशन की 1.5 प्रतिशत राशि पहुंचते थे। जबकि वीरेंद्र राम अपने पास .3 प्रतिशत रखता था। उसने यह भी बताया कि प्रत्येक ठेके का 3.2 प्रतिशत कमीशन लिया जाता था। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि 6 मई और 7 मई की छापेमारी के दौरान बरामद 35 करोड़ की राशि महज 3 महीने के ठेकों के कमीशन की वसूली हुई है।
वीरेंद्र राम की कार्रवाई से जुड़ी गोपनीय पेज लीक की भी होगी जांच
वहीं दूसरी तरफ मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी के बाद अब विभाग के गिरफ्तार चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम पर एसीबी में केस दर्ज करने और कार्रवाई के लिए भेजे गए पत्र के लीक होन को ईडी ने गंभीरता से लिया है। पत्र को छह मई 2024 को छापेमारी के दौरान जहांगीर के यहां से बरामद किया गया था। बताया जा रहा है कि मुख्य सचिव को यह पत्र ईडी ने भेजा था, बाद में इसे मुख्य सचिव ने ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को भेजा था। ईडी इस मामले में विभागीय अधिकारियों को समन कर सकती है।