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डोमेसाइल, आरक्षण, सीएनटी-एसपीटी, सरना धर्म कोड के बाद अब झारखंड को दूर तक प्रभावित करेगा परिसीमन

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द फॉलोअप डेस्क

विधानसभा में गूंजा परिसीमन का मुद्दा, सत्ता पक्ष ने एसटी सीट नहीं घटाये जाने की मांग की, विपक्ष ने कहा आदिवासियों की संख्या क्यों घट रही

डोमेसाइल, आरक्षण, सीएनटी-एसपीटी, सरना धर्म कोड के बाद झारखंड के अनसुलझे मुद्दों में परिसीमन भी शामिल होने जा रहा है। विधानसभा में मंगलवार को परिसीमन के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष आपस में उलझ पड़े। सत्ता पक्ष जहां परिसीमन के बाद राज्य में आदिवासियों के लिए सुरक्षित लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या नहीं घटने पर जोर दे रहे थे, वहीं विपक्ष आदिवासियों की जनसंख्या क्यों कम हो रही, इसका पता लगाने के लिए एनआरसी लागू करने की दिशा में सरकार को आगे बढ़ने का सलाह दे रही थी। लगभग एक घंटे तक परिसीमन का मुद्दा सदन में छाया रहा। एसटी एससी ओबीसी कल्याण मंत्री चमरा लिंडा द्वारा सदन में परिसीमन का मुद्दा उठाए जाने के बाद इस पर पक्ष और विपक्ष के सदस्य आपस में उलझ पड़े। चमरा लिंडा का कहना था कि आदिवासियों को खाने-पीने की चिंता नहीं है। वह तो पहाड़ों पर जंगलों में रहते हैं। कंद मूल खाना जानते हैं। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ा अस्तित्व का संकट है। 2008 में हुए परिसीमन में एसटी के लिए सुरक्षित सीटों की संख्या में छह की कमी की जा रही थी। हालांकि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और सोनिया गांधी के हस्तक्षेप से झारखंड में परिसीमन को स्थगित कर दिया गया। लेकिन राज्य में एक बार फिर परिसीमन लागू करने की कोशिश हो रही है। इसमें किसी भी कीमत पर आदिवासियों के लिए सुरक्षित लोकसभा और विधानसभा की सीटों की संख्या में कमी नहीं आनी चाहिए। परिसीमन करते समय जनसंख्या को आधार नहीं बनाया जाना चाहिए। क्योंकि परिसीमन आयोग की नियमावली में कहीं भी जनसंख्या को आधार बनाने की बात नहीं कही गयी है। इसके बाद प्रतिपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी इस मुद्दे को पकड़ लिए।


एसटी की जनसंख्या क्यों घट रही है, सरकार एनआरसी लागू करने की दिशा में आगे बढेः बाबूलाल मरांडी
बाबूलाल मरांडी का कहना था कि एसटी की जनसंख्या क्यों घट रही है।  मुसलमानों की जनसंख्या क्यों बढ़ रही है। राज्य सरकार झारखंड में एनआरसी लागू करने का प्रस्ताव दे, सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा कि जनसंख्या में कमी और बढोत्तरी का कारण क्या है। उन्होंने कहा कि एसटी की सीटें नहीं घटे, इसके लिए वे भी चिंतित हैं। लेकिन जनसंख्या में हो रही कमी का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। न सिर्फ लोकसभा, विधानसभा सीटों पर बल्कि नौकरी में भी। उन्होंने हेमलाल मुर्मू के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि संथालपरगना में 17-18 फीसदी तक मुसलमानों की जनसंख्या में वृद्धि हुई है। हेमलाल जी आनेवाले दिनों में आप एमएलए नहीं बन पाएंगे। संथालपरगना में बाहर से आये बंगलादेशियों द्वारा आदिवासी लड़कियों से शादी की जा रही है। शादी करनेवाले ऐसे 20-25 परिवार हैं जो मुखिया बन बैठे हैं। वर्ष 2000 में ओबीसी का आरक्षण 27 से 14 फीसदी किए जाने के नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू के आरोप पर बाबूलाल मरांडी चुप नहीं रहे। उन्होंने बताया कि अलग राज्य बनने के बाद बिहार में एसटी को दो फीसदी आरक्षण दिया गया। झारखंड में एसटी को 26 फीसदी और जनसंख्या के हिसाब से एससी को 10 फीसदी। 50 फीसदी के दायरे में शेष 14 फीसदी आरक्षण ओबीसी को दिया गया। दस्तावेजों को देख कर इसकी तथ्यात्मक जानकारी ली जा सकती है। उन्होंने तो राज्य में 73 फीसदी आरक्षण दिये जाने का फैसला किया था। उसमें एसटी के अलावा ओबीसी का आरक्षण बढ़ा कर 26 फीसदी किया गया था। लेकिन कोर्ट ने उस पर रोक लगा दिया।


जनसंख्या के आधार पर परिसीमन होगा तो एसटी सीटें घटेंगीः रामेश्वर उरांव
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामेश्वर उरांव ने परिसीमन की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए बताया कि अगर जनसंख्या के आधार पर परिसीमन होगा तो एसटी सीटें घटेंगी। इसलिए यह भी प्रयास होना चाहिए कि सीटों की संख्या बढ़े और उसमें एसटी की सीटें भी बढ़ायी जाए।


भाजपा बताए कि परिसीमन चाहती है या नहींः हेमलाल मुर्मू
झामुमो विधायक हेमलाल मुर्मू ने कहा कि परिसीमन राज्य के लिए बड़ा मुद्दा है। पिछली बार वह आयोग के मेंबर भी थे। बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। भाजपा के यह कहने से नहीं चलेगा कि अल्पसंख्यकों की जनसंख्या बढ़ रही है। वह बताए कि एसटी जनसंख्या घट रही थी तो केंद्र क्या कर रहा था। क्या भाजपा परिसीमन के लिए तैयार है।


एसटी की सीटें घटेंगी इस पर हमें चिंता करनी चाहिएः राधाकृष्ण किशोर
परिसीमन के मुद्दे पर संसदीय कार्यमंत्री राधाकृष्ण किशोर भी अपनी बात रखने से अपने को रोक नहीं पाए। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों की जनसंख्या बढ़ रही है, यह चिंता की बात नहीं होनी चाहिए। एसटी की सीटें घटेंगी, इस पर चिंता करनी चाहिे। 


जब ओबीसी की जनसंख्या नहीं घटी थी तो राज्य गठन के बाद आरक्षण 27 फीसदी से घटा कर 14 फीसदी क्यों कर दिया गयाः सुदिव्य कुमार सोनू
नगर विकास मंत्री बाबूलाल मरांडी से सवाल किया कि अलग राज्य बनने पर उनकी सरकार ने अविभाजित बिहार के समय ओबीसी को मिल रहे 27 फीसदी आरक्षण को घटा कर 14 फीसदी क्यों कर दिया था। उस समय ओबीसी की जनसंख्या तो नहीं घटी थी।

भाजपा आदिवासियों की हिमायती नहीं ः प्रदीप यादव

प्रदीप यादव ने बाबूलाल मरांडी की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये लोग आदिवासियों के हिमायती नहीं हैं। तभी तो लोकसभा में झारखंड को दो टुकड़ों में बांटने की मांग करते हैं।


परिसीमन लागू नहीं होने देंगेः डॉ इरफान अंसारी
स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी भी चुप नहीं बैठे। उन्होंने कहा कि वह परिसीमन को लागू नहीं होने देंगे। आदिवासियों के लिए सुरक्षित सीटों की संख्या में कमी नहीं आने देंगे।

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